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ना खेल मैदान ना खेल समान…स्कूली बच्चों का मानसिक,शारीरिक व सामाजिक विकास कैसे होगा!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। स्कूल सरकारी हो या निजी खेल मैदान का होना जरूरी है मैदान में खेला गया खेल बच्चों का मानसिक, शारीरिक, और सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमें स्वस्थ रखने, दिमाग की क्षमता को विकसित करने, कौशल का अभ्यास करने, और टीमवर्क करने का अवसर प्रदान करता है। यह हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है और हमें सकारात्मक रूप से सोचने, संघर्ष करने, और जीतने की क्षमता प्रदान करता है। बावजूद इसके स्कूलों में खेल मैदान और खेल का सामान का अभाव साफ तौर पर देखा जा सकता है।

वर्तमान स्थिति को देखते हुए बुद्धिजीवियों का कहना है कि शासन स्तर पर स्कूल मद की भूमि का सीमांकन किया जाय ताकि बच्चों को खेल मैदान की सुविधा मिल सके।

जानकर मानते हैं कि निजी स्कूलों के प्रबंधन द्वारा शिक्षा विभाग के अधिकारियों से साठ गाठ कर फर्जी तरीके से कागजों में स्कूल मैदान दर्शाकर पंजीयन करनें,कराने की शिकायत कोई नई बात नहीं है किंतु यदि शासकीय विद्यालयो में खेलकुद का मैदान न हो तो अध्ययन करने वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना होगा और यह अपने आप में गंभीर मामला है।

यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब विद्यालय मद की भूमि जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण अतिक्रमण की भेट चढ़ जाती है। शासन स्तर पर जिले में ऐसे मामलो को चिन्हांकित किया जाना आवश्यक है ताकि बच्चों को खेलकुद मैदान और उनका अधिकार मिल सके।

जिले में ऐसे सैकड़ों खेल मैदान उपेक्षित हैं या अतिक्रमण के शिकार होकर अपने सवरने शासन प्रशासन की कार्यवाही का इंतजार कर रहे हैं।

जिले में कुछ स्थानों पर सरकारी स्कूल भवन के सामने समतल खेल के मैदान भूमि को कंक्रीट युक्त कर दिया गया है जिस‌से बच्चे आये दिन गिर कर चोटिल हो रहे हैं। इस मामले में पन्चायत प्रतिनिधियो व शाला प्रबंध समिति की निष्क्रियता व खामोशी,छात्र-छात्राओं को उनका अधिकार नहीं दिला पा रही है।

यह समस्या केवल जिले की नहीं है वरन पूरे प्रदेश में यहीं हालात मिलेंगे अतः ऐसी स्थिति में प्रदेश स्तर पर मामले को संज्ञान में लेकर विद्यालयो में खेल मैदान आवश्यक प्रावधानों को कड़ाई से लागू कराया जाय।

खेल मैदान हेतु विद्यालय की भूमि नहीं है तो उस जगह पर अतिक्रमित भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही कर खेल मैदान बनाया जाना चाहिए ताकि देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों व युवाओं का शारिरिक,मानसिक व सामाजिक विकास व स्वस्थ शरीर के सर्वांगीण विकास हेतू उचित माहौल मिल सके।

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