सरकार ने सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन योजना के लिए मीनू बनाया…लेकिन रोज पकाया जाता है सोयाबीन की बड़ी और आलू!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाओं के बच्चों के लिए शासन की महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित हैं लेकिन कागजों पर, धरातल पर नजारा कुछ ऐसा होता है जिसे देखकर आप भी सोचने को मजबूर हो जाएंगे।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला गतौरा विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय मस्तूरी जिला बिलासपुर यहाँ 381 बच्चे दर्ज हैं और उपस्थिति 215 बतलाया गया। यहाँ एक हेडमास्टर और 8 शिक्षक पदस्थ हैं स्कूल प्रांगण दर्ज संख्या को लेकर छोटा प्रतीत होता है खेल का मैदान नहीं है।
इस सरकारी स्कूल में पकाए जाने वाले मध्यान भोजन योजना की, जहाँ स्कूल की दीवारों पर मध्यान भोजन योजना के नाम पर 6 दिनों में पकाए जाने वाली सब्जियों का मीनू लिखा गया है लेकिन रोज पकाया जाता है सोयाबीन की बड़ी और आलू वह भी बिना छिला हुआ आलू।
स्कूल में थाली नहीं होने की वजह से मध्यान भोजन के लिए बच्चे अपने अपने घरों से थाली लेकर आते हैं, लाइन लगाते हैं, रसोइया बच्चों की थाली में भोजन परोस कर दे देता है फिर जहां तहां बैठ कर भोजन ग्रहण किया जाता है।
ऐसा नहीं है कि मध्यान भोजन योजना को लेकर शासन की कोई गाइड लाइन नहीं है, है लेकिन सरकारी स्कूल है साहब यहाँ काम नियम से करो या नहीं,तनख्वाह पूरी मिलती है!
स्कूल की मॉनिटरिंग के लिए कलेक्टर बिलासपुर नें जिले भर में एक अभियान चला रखा है सँयुक्त संचालक, डीईओ, बीईओ,संकुल प्राचार्य, संकुल समन्वयक और राजस्व विभाग की टीम लगातार दौरा कर रही है बावजूद इसके ऐसी तस्वीरों का सामने आना जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता नजर आता है।
अंत में बस इतना कि शिक्षक बच्चों को अध्यापन कार्य जी जान लगा करा रहे हैं लेकिन दर्ज संख्या अनुसार उपस्थिति का कम होना सवाल खड़े करता नजर आता है जरूरत है उन तमाम जिम्मेदारों को जागरूक होने कि ताकि अध्ययन रत बच्चों का मानसिक, शारिरिक, और सामाजिक रूप से सर्वांगीण विकास हो।