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किसे चुनेगी जनता! जनता का सेवक या शासक! फैसला जनता का।

बिलासपुर। जैसे जैसे विधानसभा चुनाव में मतदान की तारीख निकट आ रही है,प्रत्याशियो के बीच जीत को लेकर एक दूसरे पर बयानबाजी की बौछार भी तेज होते जा रही है। आरोप प्रत्यारोप, व्यंग और उपहास के दौर में राजनीतिक समीकरण का बनना बिगड़ना जारी है।

इसी कड़ी में बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे दो पुराने प्रतिद्वंदी एक शहर विधायक, कांग्रेस प्रत्याशी शैलेष पाण्डेय और पूर्व मंत्री भाजपा प्रत्याशी अमर अग्रवाल के बीच तीखी नोकझोक जुबानी जंग चुनावी मैदान से निकल कर मडिया की सुर्खियों में आ गई है अर्थात सियासी जंग शुरू हो गई है। कौन सच बोल रहा और कौन झूठ इसका फैसला बिलासपुर के मतदाता 17 नवंबर को होने वाले मतदान के जरिए करेंगे।

शहर विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी शैलेष पाण्डेय ने भाजपा प्रत्यासी अमर अग्रवाल के 15 साल के मंत्रित्वकाल पर सवाल उठाते हुए कहा है कि मंत्री रहने के दौरान अमर अग्रवाल का दंभ और घमंड सिर चढ़कर बोल रहा था। आम जनता का अपने विधायक से आसानी से मिल पाना, पूरे 15 साल कठिन रहा और तो और भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता अमर अग्रवाल से या तो मिल ही नही पाते थे या उन्हे मिलने ही नही दिया जाता था।

दूसरी तरफ न्याय की आस में पीड़ित जनता को कोठी के बाहर से ही भगा दिया जाता था। अमर अग्रवाल के इर्द गिर्द साए की तरह घूमने वाले गिनेचुने लोग ही उनके लिए पूरी बिलासपुर की जनता थे। यही चन्द लोग नेता जी के रणनीतिकार थे और आज भी है। अपने जनप्रतिनिधि की कोठी में कोई सुनवाई नही होने से जनता परेशान हलकान थी तो जमीनी कार्यकर्ताओं का पार्टी और नेता जी से मोह भंग हो गया। परिणाम पिछला चुनाव नेता जी हार गए।

जीत के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी और पांडेय जी जनता के सेवक। उन्होंने पूरे 5 साल विधायक होने के नाते जनता की पीड़ा सुनी उन्हें पूरा समय और सम्मान दिया लेकिन उन पर आरोप है कि वे जनता की बहुत सी समस्याओं के निराकरण करनें में नाकाम रहे। सत्ता होने के बाद भी जनता की समस्याओं का निराकरण नहीं होना उनकी कम राजनीतिक प्रभाव या दबदबा को दर्शाता है।

दूसरी तरफ आरोप है कि इन्हीं रूठे हुए कार्यकर्ता और पीड़ित जनता को अब जबकि चुनाव है तो नेता जी हर तरह से मनाने के लिए साम दाम दण्ड भेद का सहारा लेते हुए दोनों हाथ जोड़ मना रहे है। पंद्रह साल तक जिस जनता को बंगले के दरवाजे से दुत्कारा जाता रहा आज उन्ही जनता के पास जाकर उनसे वोट मांग कर रहे,पाण्डेय जी का कहना है कि प्रायोजित ढंग से स्वागत करवा रहे,हाथ जोड़ रहे और माला पहन रहे है। आरोप है कि उनके कार्यकर्ता लोग मतदाताओं को प्रलोभन दे रहे लेकिन शहर के मतदाता अब नेता जी और उनके चौकड़ी के जाल में नही फंसने वाली है। 17 नवंबर को होने वाले मतदान में उसका करारा जवाब देगी।

हालांकि जनता भी जागरूक हो गई है छत्तीसगढ़ के निर्माण के बाद हुए चुनाव और नेताओं के राजनीतिक प्रवचन, जो सत्ता सुख के वास्ते दिया गया था,मतलब की राजनीतिक साबित हुआ। जनता जो मतदाता भी है उम्मीदवारों का भाग्यविधाता भी,अब शासक नहीं,मिठलबरा और झूठ लबरा नहीं, बल्कि जनता का सेवक और योग्य उम्मीदवार को चुनना चाहती है।

कुर्सी के इस खेल में अब लोकलुभावन घोषणा पत्र का सहारा लिया जा रहा है शहर की जनता किसे अपना विधायक चुनती है किस नेता जी को सबक सिखाएगी ये देखना बेहद दिलचस्प होगा।

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