बिलासपुर

तहसीलदार ने जेल भेजने की धमकी देकर हटवाया टेंट, धूप में बैठ कर धरना दे रहा आंदोलनजीवी बुजुर्ग… अब तो सूचना देकर शांति पूर्ण धरना प्रदर्शन भी हुआ अपराध… रतनपुर तहसील का मामला।

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर/रतनपुर। शांतिपूर्वक शुरू किए गए धरना-प्रदर्शन को रतनपुर तहसीलदार के द्वारा तानाशाही तरीके से कुचलने का प्रयास किया जा रहा है। तहसीलदार ने धमका कर तहसील कार्यालय परिसर में लगाए गए टेंट को हटवा दिया गया है। वहीं आंदोलनकारी सामाजिक कार्यकर्ता भूतपूर्व सरपंच को खुले आसमान के नीचे धूप में धरना देना पड़ रहा हैं।

गांधी और उसके विचारों के पैरोकार कांग्रेस की सरकार के राज में सरकारी अधिकारी किस हद तक अराजकता और बेलगाम हैं इसकी बानगी सोमवार को रतनपुर स्थित तहसील कार्यालय में देखने को मिला।

कलेक्टर,अनु विभागीय अधिकारी सहित संबंधित विभाग और जनप्रतिनिधियों को पहले से सूचित कर सामाजिक कार्यकर्ता और भूतपूर्व सरपंच नारायण प्रसाद यादव ने विभिन्न लंबित समस्या को तहसील कार्यालय के सामने सोमवार से धरना-प्रदर्शन शुरू किया।

जेल भेजने दी धमकी

धरना स्थल पर बैठने और छाया के लिए उन्होंने टेंट लगवाया था। नारायण प्रसाद यादव का आरोप है कि रतनपुर तहसीलदार शिल्पा भगत ने टेंट संचालक को जेल भेजने की धमकी दी जिससे डरकर टेंट संचालक अपने लगाए गए टेंट और बैठने के लिए रखी बाजवट व गद्दे को उठाकर ले गए.

उनका आरोप है कि पुलिस वाले भी मौके पर पहुँचे और धरना खत्म करने धमकाते रहे। तहसीलदार के तानाशाही रवैये से लोगों में भी तीखी नाराजगी देखी जा रही है।

कई मामले है लंबित

नारायण प्रसाद यादव ने बताया अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यायल कोटा व तहसीदार रतनपुर में कई मामले लंबित है। उसके संदर्भ में पूर्व में कलेक्टर जनदर्शन में आवेदन किया गया है। आनलाईन दर्ज नहीं होने के कारण आवेदन कहाँ दबा है पता नहीं चलता है। कलेक्टर द्वारा संबंधित अधिकारी को रिमार्क कर अग्रेसित किया जाता है। संबंधित कार्यायल में जाकर अग्रेसित आवेदन पत्र के बारे में पुछने पर जानकारी नहीं दिया जाता है। समस्या जस की तस बना रहता है। आवेदन पर उचित कार्यवाही नहीं होने पर न्यायहित जनहित में तहसील कार्यालय रतनपुर के सामने 6 फरवरी से सर्वदलीय मंच के माध्यम से शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने की सूचना संबंधित कार्यालयों में दी गई थी। इसमें जरूरत पड़ने पर माईक चोंगा का उपयोग नियमानुसार करने की बात भी कही गई थी।

 
सरकारी छांव में तहसीलदार की कार

एक तरफ तो पैसे खर्च कर सामाजिक कार्यकर्ता के लगवाये गए टेंट को तहसीलदार ने धमका कर हटवा दिया, वहीं दूसरी ओर तहसीलदार कार्यालय के सामने नागरिकों की सुविधा के लिए लगाएं गए शेड पर तहसीलदार की निजी कार को आरामदायक सुविधा दी जा रही है। इधर एक जीते जागते इंसान धूप में धरना देने पर मजबूर कर प्रताड़ित किया जा रहा है।

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