बिलासपुर

CMHO कार्यालय का रिटायर्ड बाबू, रिटायरमेंट के बाद भी कर रहा काम!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय बिलासपुर हमेशा से ही विवादित रहा है इस विभाग से आर्थिक भृष्टाचार और शासकीय धनराशि की लूट के अजीबो-गरीब मामले सामने आते रहे हैं। इसी विभाग के पूर्व सीएमएचओ पर आर्थिक भृष्टाचार का गंभीर आरोप लगा था। अब यहां से एक सनसनीखेज खबर निकल कर सामने आ रही है जिसमें कार्यालय का एक एकाउंटेंट जो लगभग डेढ़ साल पहले रिटायर्ड हो गया है वह अब भी बिना किसी वैधानिक आदेश के, बतौर एकाउंटेंट मुफ्त में काम कर रहा है।

जानकारी के अनुसार उसे ना तो सविंदा नियुक्ति मिली है ना कोई ऐसा आदेश आया है। यदि ऐसा है तो इस बात की जांच भी होनी चाहिए कि आखिर रिटारमेंट के बाद एक बाबू सरकारी दफ्तर में किस के आदेश पर काम कर रहा है!

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कार्यालय प्रमुख प्रमोद महाजन के रहते यदि ऐसी लापरवाही हो रही है तो सवाल उठना लाजिमी है।

सूत्रों के हवाले से आई इस खबर नें एक बार फिर सीएमएचओ कार्यालय में हो रही आर्थिक गड़बड़ी का संकेत दिया है।

सूत्रों की मानें तो सीएमएचओ कार्यालय बिलासपुर में शेख मोहम्मद नामक एक अकाउंटेंट पदस्थ थे जो केश बुक,चेक तथा कर्मचारियों की तनख्वाह सहित तमाम कार्य संपादित किया करते थे,लगभग डेढ़ साल पहले वो सेवानिवृत्त हो गए। किंतु रिटायर होने के बाद भी उन्होंने ना तो कुर्सी छोड़ी,ना पद,ना ही काम करना छोड़ा है उनके द्वारा बाकायदा समय पर कार्यालय आकर काम किया जा रहा है।

सूत्र कहते हैं कि अभी भी उनके द्वारा चेक बुक,कैश बुक में दस्खत किया जा रहा है।

विभागीय सूत्रों के हवाले से खबर निकल आ रही है कि उन्होंने हाल ही में हुई आडिट जैसे महत्वपूर्ण कार्य को संपादित कराया है।

अब ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि रिटायरमेंट के बाद भी एक कर्मचारी शासकीय नियमों को ताक पर रख किसके आदेश से कार्य कर रहा है।

जानकारों का कहना है कि उनके द्वारा रिटायरमेंट के समय कुछ लोगों को आधा अधूरा अकाउंट सेक्शन का चार्ज दिया गया था,उन्होंने बड़ी वित्तीय गड़बड़ी की आशंका के चलते आधा अधूरा चार्ज लेकर काम करना उचित नहीं समझा।

अब सवाल उठता है कि एक रिटायर्ड कर्मचारी एकाउंट जैसे महत्वपूर्ण सेक्शन में किसकी इजाजत से पिछले डेढ़ साल से केश बुक,चेक और कर्मचारियों की तनख्वाह बना रहा है और क्यों?

एक सवाल जेहन में बार बार उठता है कि आखिर एक रिटायर्ड बाबू मुफ्त में काम क्यों कर रहा है?

शासन को चाहिए की ऐसे मामले में निष्पक्ष जांच करे यदि सूक्ष्मता से जांच हुई तो एक बार फिर आर्थिक भ्र्ष्टाचार के बड़े मामले उजागर होंगे!
जरूरत है सिलसिलेवार निष्पक्ष जांच की।

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