जन चौपाल या “जी” का जंजाल उठ रहे कई सवाल!

खासखबर बिलासपुर – कोरोना वायरस और उसके गिरते ग्राफ के बाद एक बार फिर सीएम के निर्देश पर कलेक्टर जन चौपाल की शुरुआत हो गई है। बिलासपुर में टीएल की मीटिंग के बाद कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर जन चौपाल में लोगों की समस्याओं को गंभीरता से सुनते हैं। दूर दराज से आए हुए फरियादियों की समस्या सुनने के बाद समाधान को लेकर आश्वस्त भी किया जाता है। किन्तु समाधान कितनों का होता है जानकारी नहीं मिलती बहुत से लोग दुबारा आते हैं, समाधान नहीं होने पर कुछ तो लचर प्रशासनिक व्यवस्था के चलते आना ही नहीं चाहते। भूल जाते हैं कि उनकी कोई समस्या है।
मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में दूरदराज क्षेत्रों से आए हुए लोगों की एक लंबी कतार जन चौपाल में सुनवाई हेतु लगाई जाती है समस्या लेकर आए लोगों को उम्मीद होती है कि कलेक्टर उनकी समस्या का निराकरण करेंगे लेकिन उन्हें तब निराशा होती है जब उनकी समस्या लिखे आवेदन को संबंधित विभाग के अधिकारियों को भेज दिया जाता है जिन्होंने उन्हें पहले ही वापस लौटा दिया था। ऐसे में आवेदक के मन में कई सवाल खड़े होते है।
सरकार बीजेपी की थी तब भी और कांग्रेस की सरकार है तो भी लोगों को अपनी समस्या के निराकरण के लिए एक लंबी कतार लगानी पड़ती है और घंटों कतार में खड़े खड़े अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है इसमें महिला और पुरुषों के साथ साथ वृद्ध भी होते हैं जो ठीक से खड़े भी नहीं हो सकते। वहीं उन्हें कलेक्टर के चेम्बर में कलेक्टर के सामने खड़े होकर अपनी समस्या सुनानी पड़ती है वह भी कम समय में और आवेदन देकर वापस हो जाते हैं।
लोगों का कहना है कि जन चौपाल में भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ है। लोगों का कहना है कि यदि हमारी समस्या का समाधान तहसील स्तर पर होना है तो हमारे आवेदन को तहसील कार्यालय फारवर्ड कर दिया जाता है जबकि हमारी समस्या का निराकरण तहसीलदार को ही करना है तो फिर हमें जन चौपाल में कलेक्टर के समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता क्यों?
मतलब तहसील कार्यालय में सुनवाई नहीं होने पर आवेदक एसडीएम कार्यालय में आवेदन देता है वहां भी सुनवाई नहीं होने पर कलेक्टर के पास इस उम्मीद से जन चौपाल के माध्यम से आता है कि उसके आवेदन पर सुनवाई होगी किंतु उसे फिर से तहसील कार्यालय भेज दिए जाने पर उसकी शासन और प्रशासन की प्रशासनिक व्यवस्था पर से भरोसा उठने लगता है। यदि समय पर समस्या का निराकरण नहीं हुआ तब भरोसा पूरी तरह टूट जाता है।
बीजेपी शासन काल में जनदर्शन के ऐसे सैकड़ों मामले आज लंबित है जो कांग्रेस शासन के दौरान जन चौपाल में आ रहे हैं नाम भर बदला है प्रकरण आज भी लंबित है।