ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ प्रधान पाठक से लिखवाया माफ़ीनामा! करे कोई-भरे कोई,प्रधान पाठकों में आक्रोश।

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर:- विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा अंतर्गत एक नया और सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिसमें एक सत्यनिष्ठ,ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और जिम्मेदार प्रधान पाठक से बिल्हा बीईओ कार्यालय में दबाब डालकर माफ़ीनामा लिखवाया गया है। ऐसे में व्यवस्था सुधरने की बजाय बिगड़ने के आसार नजर आ रहे हैं।
जैसा कि हमारे पाठक जानते हैं कि जिला में संचालित सरकारी स्कूलों की लचर व्यवस्था सुधारने कोई उम्मीद लौटी है शायद…तभी तो कलेक्टर अवनीश शरण बिलासपुर नें कमर कस ली इसलिए जिला प्रशासन की टीम,संयुक्त संचालक की टीम,जिला शिक्षा अधिकारी की टीम, विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी की टीम लगातार स्कूलों का निरीक्षण कर रही है।
ऐसे ही में 17/09/24 को जेडी साहब मतलब सँयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर अचौक निरीक्षण करते हुए दोपहर लगभग 1 बजे शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सिलपहरी, विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा जिला बिलासपुर पहुंचे तो प्रधान पाठक और 6 शिक्षक उपस्थित मिले एक शिक्षिका अवकाश में थी। उन्होंने देखा कि 219 कुल दर्ज संख्या में 108 बच्चे उपस्थित हैं।
फिर उन्होंने शिक्षक उपस्थिति पंजी का अवलोकन किया तो पाया कि शैक्षिक समन्वयक देव नारायण यादव इसी शाला में पदस्थ हैं लेकिन जुलाई,अगस्त, सितंबर मतलब तीन महीने में उनकी उपस्थिति नहीं के बराबर है। पता चला कि स्कूल में अध्यापन कार्य भी नहीं कराते, उन्हें गणित का विषय मिला है।
सूत्रों के हवाले से खबर आई कि उन्होंने बीईओ बिल्हा को फोन लगाकर पूछा कि यह शैक्षिक समन्वयक देव नारायण यादव अपने मूल शाला आता ही नहीं,स्कूल में पढ़ाता भी नहीं,डेली डायरी संधारित नहीं, शिक्षक उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर भी नहीं है तो इसका तनख्वाह कैसे निकल रहा है? भेजता हूँ नोटिस!
अब सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि बिना काम के वेतन आहरण मामले में संकुल समन्वयक देव नारायण यादव को बचाने और खुद पर कोई कार्यवाही ना हो इसलिए बीईओ नें सिलपहरी के ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ जिम्मेदार प्रधान पाठक खीर प्रसाद चंद्रा पर दबाव बनाते हुए उनसे माफीनामा लिखवाया है! अब माफ़ीनामा वाला मामला तूल पकड़े उसके पहले जिम्मेदार अधिकारियों को कोई ठोस कदम उठाया जाना चाहिए।
बहरहाल विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा में बेकाबू होती अव्यवस्था का आलम यह है कि गड़बड़ियाँ जिम्मेदार अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान उनके सामने उजागर हो रही हैं,जिसे स्वयं सँयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर नें निरीक्षण के दौरान देखा है, देखना होगा कि अब इस प्रधान पाठक माफ़ीनामा वाला मामले में मतलब “बलि का बकरा” बनाने वाला मामला क्या रंग लाता है, ये तो भविष्य की गर्त में गोते लगा रहा है! मौजूदा दौर कब तक रहेगा कहना मुश्किल है।