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“शौचालय में उग आया पपीते का पेड़…लग गए फल।

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। स्वच्छ भारत मिशन योजना अन्तर्गत बनाए गए इस दरवाजा विहीन शौचालय की तस्वीर से साफ है कि निर्माण गुणवत्ताहीन होने की वजह से हितग्राही द्वारा उपयोग में नहीं लाया गया। जिससे उसमें उग आए पपीते का वृक्ष और उस पर लगे फल को देखकर आप को भी आश्चर्य हो रहा होगा,और होना भी चाहिए। क्योंकि सरकारी योजनाओं में ऐसी तसवीरें हमारे देश से ही निकल कर ज्यादा आती हैं।

हमें नहीं मालूम कि ये तस्वीर भारत देश के किस राज्य के किस जिले के किस विकास खंड के किस ग्राम पंचायत की है हमें तो ये तस्वीर सोशल मीडिया में पिछले एक साल से दिखाई दे रही है। हमनें काफी प्रयास किया कि पता करें कि आखिर ये तस्वीर कहाँ कि है लेकिन कुछ भी नतीजा सामने नहीं आया।

अब शौचालय में उग आए पपीते के पेड़ और उस पर लगे फल पर बुद्धिजीवियों का कहना है कि ये सबसे पहले योजना में आई राशि में जमकर की गई भ्र्ष्टाचार का नतीजा और विफलता का सर्वोत्तम सार्वजनिक परिणाम है।

दूसरा उनका मानना है कि जिला और विकास खण्ड स्तर पर ग्राम पंचायतों को टारगेट देकर शासन से प्राप्त राशि दुरुपयोग का जीता जागता उदाहरण है।

तीसरा ये कि यदि पंचायत का सरपंच,सचिव और पंचगण इस शौचालय निर्माण कार्य और उसकी गुणवत्ता के साथ साथ उसके उपयोग किए जाने जागरूकता अभियान चलाते तो शायद पपीते के पेड़ को शौचालय में उगने की नौबत ही नहीं आती।

चौथा ये कि मोनिटरिंग के नाम पर सरकारी वाहन में पेट्रोल और डीजल भराकर लॉग बुक मेंटेन कर सरकारी राशि डकार जाने वाले जिम्मेदार अधिकारी यदि ईमानदारी से अपने अपने क्षेत्र का दौरा किए होते तो इस तरह स्वच्छ भारत मिशन की शौचालय निर्माण की इस योजना को शर्मसार करने वाली तस्वीरें कभी सामने नहीं आती।

फिलहाल यह तस्वीर किस राज्य के किस जिले की है इस बात का पता लगाना और लापरवाही बरतने वाले जिम्मेदारों को विधि अनुसार दंडित करने का काम शासन का है।

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