पटवारी पर लगा रिश्वत लेने का आरोप… एसडीएम से हुई शिकायत…पटवारी नें जमीन का रिकॉर्ड दुरुस्त करनें किसानों से ली थी 4 किश्तों में 40 हज़ार रुपए की रिश्वत…

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। राजस्व विभाग में पदस्थ पटवारियों द्वारा किसानों से काम के एवज में रिश्वत मांगने की शिकायत आम तौर पर सुनी जाती है और एक ऐसा ही मामला किसानों द्वारा एसडीएम कार्यालय में शिकायत आवेदन देकर किया गया है।
शिकायकर्ता किसानों नें एसडीएम को दिए आवेदन में लिखा है कि केन्दा निवासी श्यामलाल पिता श्रीराम विश्वकर्मा जो कि केन्दा निवासी किसान है। केन्दा मे 2017-18 में पदस्थ पटवारी प्रीतम सिंह गायकवाड़ (वर्तमान में तखतपुर ब्लाक नगोई
में पदस्थ हैं) पटवारी द्वारा मेरे जमीन का रिकार्ड दुरूस्त करने व पर्ची भूमि का नाप कराने के लिए दिया था। जिसके
बाद पटवारी नें रिकार्ड सुधारने व जमीन का सीमांकन कराने के नाम पर मेरे से 40000/- रूपये की मांग की। जिसे मैं चार किस्तो में दिया था। जिसके बाद भी मेरे जमीन का रिकार्ड नहीं सुधार किया गया। जबकि मेरे पर्ची में खसरा क्रमांक 134/10(क). क्र. 286/2, क्र. 378/1 तीन नग भूमि सही हैं और बाकि 9 में से 6 नग भूमि का खसरा क्रमांक 2,3,4,5,6.7 नम्बर का खसरा नं. 246/1, 240/2, 247/1, 247/3. 249/3 व 249/4 जमीन मेरे नाम पर चढ़ाया गया है। जिस पर दूसरे किसान रामनाथ केवट वर्षों से काबीज कर रखा है।
चूंकि उक्त कार्य के लिये हम लोग उस पैसा को अपने बचे हुए जमीन को गिरवी रखकर अपनी विषम परिस्थिति के बावजूद रोजी मजदूरी कर तीन लोग (श्यामलाल 21000. अपनी बडी चाची सगनी विश्वकर्मा
17000/- में खेत गिरवी व छोटी चापी रामबाई विश्वकर्मा द्वारा 2000/- कुल मिलाकर 40000/- चालीस हजार
रूपये प्रीतम सिंह गायकवाड़ पटवारी के मांग पर पैसा दिए हैं।
अब उक्त किसानों ने एसडीएम कोटा से निवेदन किया है कि पूर्व में पदस्थ पटदारी प्रीतम सिंह गायकवाड़ स्थानांतरण (ब्लाक तखतपुर में पदस्थ) पर त्वरित जांच कर प्रशासनिक कार्यवाही की जाय व हम लोगों
से लिये गये रिश्वत की रकम 40000/- (चालीस हजार रूपये) वापस दिलाया जाय।
बहरहाल राजस्व विभाग के पटवारी की इस लिखित शिकायत से राजस्व महकमें हड़कंप मच गया है वहीं किसानों की हितैषी सरकार होने का दावा की पोल खोलती शिकायत सरकार की क्षवि को धूमिल कर रही है वहीं विपक्ष को भी लचर प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करनें का मौका मिल रहा है देखने होगा कि किसानों द्वारा लगाया गया आरोप जांच के दौरान कितना सच साबित होता है!