भगवान भरोसे सूचना का अधिकार… एसडीएम कार्यालय से सूचना के अधिकार अधिनियम का बोर्ड ही नदारद… तय समय सीमा में नहीं दी जाती जानकारी!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। सूचना का अधिकार अधिनियम को लेकर सरकारी कार्यालयों बरती जा रही लापरवाही की लोग यूं ही शिकायत नहीं करते,कोटा एसडीएम कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारी सूचना के अधिकार अधिनियम की जानकारी देने कितने सजग हैं, इसकी बानगी कल कोटा एसडीएम कार्यालय जाने पर सामने आई।देख कर हमें आश्चर्य हो रहा था कि कार्यलय में सूचना के अधिकार संबंधित कोई बोर्ड ही नहीं लगाया गया है, ना ही सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कोई जानकारी तय समय सीमा में दी जाती है।
हालांकि यहां तमाम जिम्मेदार कर्मचारी और अधिकारी पदस्थ हैं जिन्हें तय समय पर तनख्वाह जरूर मिल जाती है।जानकर लोगों का कहना था कि छ.ग. लोक सेवा अधिनियम 2011 तहत तय समय सीमा में जनकारी उपलब्ध कराने नियम कायदे की बातें लिखी जरूर गई है किंतु यह भी महज कागजी और दिखावा साबित होता नजर आता है। क्योंकि तय समय सीमा में जानकारी ही नहीं दी जाती।
फिलहाल एसडीएम कार्यालय में बीते शुक्रवार एसडीएम कोटा कार्यालय में मौजूद नहीं थे और मजे की बात यह कि सूचना का अधिकार पर मांगी गई जानकारी देने वाला कर्मचारी पुष्पेंद्र मरावी भी नदारत था। हमनें फोन लगाया लेकिन फोन रिसीव नहीं किया गया।
आगन्तुक लोग एसडीएम साहब का इंतजार कर रहे थे। हमनें एसडीएम के स्टेनोग्राफर लोकेश साहू से सूचना के अधिकार अधिनियम से सम्बंधित जानकारी वाले बोर्ड के विषय में जानकारी चाही तो उन्होंने छ ग लोक सेवा अधिनियम के दीवार लेखन को सूचना के अधिकार का बोर्ड बता दिया, जब हमनें बताया कि वह लोक सेवा अधिनियम का है तो बहाना बनाकर कह दिया कि आंधी तूफान से उड़ गया उसे एसडीएम निवास में रखा गया है।
हमनें इस बात की सच्चाई जानने एसडीएम निवास गए निवास बंद था चार दीवारी के भीतर पर बोर्ड नजर नहीं आया। मतलब साफ था कि गलती छुपाने का प्रयास किया गया था।
कुल मिलाकर राज्य सूचना आयोग के प्रमुख अधिकारी सूचना के अधिकार को लेकर कितने भी गंभीर होने का दावा करते रहें लेकिन कोटा एसडीएम कार्यालय की तरह जिले में ऐसे दर्जनों शासकीय कार्यालय हैं जहां सूचना का अधिकार अधिनियम से संबंधित ना तो बोर्ड लगाया गया है ना इसे लेकर अधिकारी गंभीर हैं ना ही तय समय सीमा में जानकारी दी जाती है।
क्रमश….