मंत्री जी… आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्थापित औरापानी जलाशय का जल…मरम्मत के अभाव व अधिकारियों की लापरवाही से…पिछले दस सालों से हो रहा बर्बाद।

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग पेंड्रा रोड की बात ही निराली है ऐसा इसलिए क्योंकि इस विभाग के अधिकारी किसी निर्माण कार्य को पूर्ण करने के बाद याने मलाई छानने के बाद उस ओर झांकते नहीं। उन्हें अपने ही विभाग द्वारा बनाए योजना और योजना से लाभान्वित होने वाले गरीब किसानों के हितों से कोई मतलब नहीं होता। योजना का लाभ किसानों को मिल रहा है या नहीं या फिर निर्मित डेम,नहर में कोई तकनीकी खराबी या टूट फुट या फिर गुणवत्ताहीन निर्माण और जमकर किए गए भ्र्ष्टाचार से गिर तो नहीं गया यह भी देखने की फुर्सत नहीं। ठेकेदार को भुगतान और अधिकारियों को कमीशन यानि योजना पूर्ण।
ये अलग बात है कि हर साल मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए जरूर कागजी खर्च बता कर अधिकारी अपनी जेबें गर्म कर शासन को चूना लगा रहें है।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं पेण्ड्रा जल संसाधन संभाग के बेलगहना उप संभाग अंतर्गत औरापानी जलाशय योजना जो वर्ष 1982-83 में सेमरिया से लगे ग्राम औरापानी में बनाना आरंभ किया गया। उन दिनों इस योजना की लागत 973.81 लाख रुपए थी।
जानकारी के अनुसार जल संसाधन उप संभाग कार्यालय बेलगहना के तीन इंजीनियरों नें इस जलाशय का प्राकलन तैयार किया था, ये तीन इंजीनियर पी आर साहू,आर के तिवारी और आर एल बिरथरे थे। वहीं दो एसडीओ एम के पांडेय और एच एस प्यासी थे। उन दिनों लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या लगभग 815 थी और बनाई गई नहर से 232 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित किए जाने का लक्ष्य था।
कहते हैं कि अच्छे लाल अग्रवाल इस योजना के ठेकेदार थे। मार्च 2011 में योजना पूर्ण हो गई। तब 582.91 लाख रुपए खर्च किए गए थे। योजना की कुल लागत से बची राशि 380.90 लाख रुपए शासन को लौटाए गए या नहीं इस बात की जानकारी नहीं।
कहते हैं कागजों में इस योजना को पूर्ण होने लगभग 28 वर्ष लग गए। उन दिनों इस लेट लतीफी या लापरवाही के लिए ठेकेदार और देखरेख करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
आज औरापानी जलाशय,से लाभान्वित होने वाले किसान निराश हैं तो वहीं जलाशय जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही पर अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारी नई नई योजनाओं के निर्माण से होने वाले फायदे (कमीशन) की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
औरापानी जलाशय से लाभान्वित होने वाले किसानों की माने तो पिछले दस साल से अधिकारियों को नहर मरम्मत कार्य करने के लिए कहा जा रहा है लेकिन अधिकारी के पास इस पुरानी योजना के लिए समय नहीं है। हर साल बरसात के पानी से लबालब भर जाने वाले इस जलाशय का जल निकासी गेट खराब हो जाने की वजह से पूरा पानी जनवरी से फरवरी माह तक होने वाले रिसाव से निकल कर बर्बाद हो जाता है और जलाशय सुख जाता है।
यदि अधिकारी निकासी गेट का मरम्मत कार्य कर देते तो हम किसान रबी की फसल लगाकर अपनी आय में बढ़ोतरी करते।
आज भी जलाशय की नहर कई जगहों से टूट फुट गई है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने सालों से उसका मरम्मत कार्य नहीं किया है।
हालांकि नहर मरम्मत और नई नहर निर्माण कार्य के लिए खनिज विभाग द्वारा डीएमएफ फंड से राशि स्वीकृत किए जाने का उल्लेख यहां लगे शिलालेख में मिलता है लेकिन नहर निर्माण कार्य के सर्वे में कितना खर्च किया गया, बावजूद इसके निर्माण कार्य क्यों नहीं किया गया इसका जवाब किसी भी अधिकारी ने नहीं दिया। क्रमशः …..