“चक्का जाम”…कुम्भकर्णीय नींद से जागे अधिकारी… जाम हटाने हर शर्त मंजूर… एक सप्ताह में समस्या के निराकरण का दिया आश्वासन।

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। कोटा नगर वासियों नें आखिरकार प्रशासन को दिए चार दिन के अल्टीमेटम के बाद मुख्य मार्ग पर चक्का जाम कर शासन प्रशासन मजबूर कर दिया कि समस्या का निराकरण किया जाय। स्थानीय प्रशासन जो कुभकर्णीय नींद में था जाग उठा और आनन फानन में 7 दिनों में समस्या के निदान का आश्वासन देकर चक्का जाम खुलवाया गया।
जानकारी के अनुसार विगत तीन सालों से कोटा नगरवासी और आसपास के नागरिक गड्ढे से भरी बदहाल सड़क और उड़ती धूल से परेशान थे कुल मिलाकर आस पास का वातावरण धूल की वजह से प्रदूषित हो रहा था और लोगों को धूल भरी प्रदूषित हवा में स्वास लेने से अस्थमा की शिकायत हो रही थी दूसरी तरफ खाने पीने की चीजों में भी धूल के कण लोगों को बीमार कर रहे थे। वहीं गड्ढे से भरी सड़कें आए दिन दुर्घटना की वजह बन गया था।
नगर वासियों का मानना है कि स्थानीय प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी कुभकर्णीय नींद में थे उन्हें लोगों की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं था इसलिए चक्का जाम जैसा कदम उठाना पड़ा।
आखिरकार आज कोटा में नागरिकों ने चक्का जाम कर स्थानीय प्रशासन को जाम स्थल पर ,उन्हें मनाने आना पड़ा,जाम लगने से अधिकारियों के पसीने छूट गए सैकड़ों की तादात में आम जनता सड़क जाम कर नारे लगाती रही, हजारों की संख्या में दो पहिया और चार पहिया वाहनों की कतार लग गई।
नींद से जागे अधिकारियों नें आनन फानन में पैच वर्क के लिए 20 लाख रुपए देने की बात कही और जल्द ही सड़क निर्माण के लिए टेंडर बुलाने की शर्त पर हुआ चक्का जाम खत्म हुआ।
बहरहाल स्थानीय प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना रवैया आज नागरिकों और जनप्रतिनिधियों को सड़क जाम करने मजबूर कर दिया यदि स्थानीय प्रशासन और उसके जिम्मेदार अधिकारी यदि समय रहते सड़क समस्या का निदान करते तो लोगों को चक्का जाम करने की जरूरत ही नहीं होती…इस चक्का जाम से लोगों को गलत संदेश गया है उन्हें ऐसा लगता है कि चक्का जाम किए जाने से ही अधिकारी मौके पर आते हैं और समस्या का निदान होता है!