बिलासपुर

“दाऊ जी” के शासन और “शाह जी” की लचर व्यवस्था, 15 दिनों में होने वाला “डायवर्सन” के लिए लग गए 1063 दिन।

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। लोग राजस्व विभाग में चल रही गड़बड़ियों की शिकायत,जैसे जमीन संबंधित मामलों के निपटारे में “बेवजह” की लेट लतीफी,डायवर्सन के प्रकरणों में शासन के निर्देश के बावजूद दो दो साल प्रकरणों का लंबित रहना,राजस्व विभाग को बदनाम करनें काफी है। मजे की बात यह है कि छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व मंत्री जिले के प्रभारी मंत्री हैं ऐसे में यदि प्रभारी मंत्री के जिले का यह हाल है तो आप समझ लीजिए कि प्रदेश के अन्य जिलों का हाल कैसा होगा!

जी हाँ हम बात कर रहे हैं डायवर्सन के एक ऐसे प्रकरण की जिसे शासन के निर्देशानुसार 15 दिनों में पूरा हो जाना था किंतु राजस्व विभाग की लचर व्यवस्था के चलते उस प्रकरण का निपटारा 498 दिन में किया गया वह भी तब जब आवेदक नें उच्च स्तरीय शिकायत की,यदि नहीं करता तो शायद यह प्रकरण कार्यालय के किसी कोने में पड़ी फ़ाइलों के नीचे दबी प्रशासनिक व्यवस्था को कोस रही होती और आवेदक ऑफिस के चक्कर लगाते रहता।

क्या है मामला

बिलासपुर छत्तीगढ राज्य शासन के निर्देश पर जो काम 15 दिन में पूरा करने का हो और वह न हो पाए तो, संबंधित कारण के साथ आवेदक को लौटा देने ( छग शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग, मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर अटल नगर का आदेश क्रमांक एफ 4-46 / सात-1 /2019 नवा रायपुर अटल नगर दिनांक 11 सितंबर 2019 ) की बाध्यत वाला कार्य छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 18 मई 2020 ( रिट याचिका डब्ल्यू पी (सी) क्रमांक 961/20) जिसमें उल्लेखित हो कि इस कार्य को जितनी जल्दी हो सके करें वो 498 दिन यानी पूरा एक साल तीन महीने और 24 दिन में भी पूरा न हो।

सर्वोच्च प्राथमिकता दें

वहीं हाईकोर्ट के आदेश में बाद कलेक्टर की टिप्पणी “कृपया इसे सर्वोच्च प्राथमिता देवें, के निर्देश देने वाले ज्ञापन” ( कार्यालय कलेक्टर जिला बिलासपुर छग का ज्ञापन क्रमांक 1533 स अ सा / 2020 बिलासपुर दिनांक 11/06/2020 ) के बाद भी 498 दिन यानी सवा साल में कार्य को प्रशासनिक अमला पूरा नहीं कर पाए और इन सब में आवेदक द्वारा ड्रायवर्ससन कार्य के लिए प्रस्तुत आवेदन की तिथि जोड़ दी जाए तो इस काम के विलंब के दिन 1063 दिन यानी दो साल 11 महीने 07 दिन हो जाएंगे।

ऑफिस ऑफिस

इतने आंकड़ों से तो प्रदेश के राजस्व विभाग में पसरी लाल फीता शाही और आफिस-आफिस के खेल और ऑफिस ऑफिस खेलने की वजह का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

कहां कहां की शिकायत

इस दो साल 11 महीने 07 दिन की अवधि में प्रधानमंत्री के आनलाइन पीजी पोर्टल, मुख्यमंत्री, राज्य शासन के मुख्य सचिव, सचिव राजस्व विभाग से लेकर कलेक्टर व कमिश्नर तक को पत्र लिखे गए है लेकिन सब की कार्र्रवाई का नतीजा सिफर ही रहा।

हद हो गई

प्रधानमंत्री के आनलाइन पीजी पोर्टल की जांच में तो शिकायतकर्ता का पक्ष सुने बगैर ही कुछ पत्रों का उल्लेख कर शिकायत को समाधान होना बताकर डिस्पोज कर दिया गया है जबकि अब तक कार्य के लिए आदेश जारी होने के 388 दिन बाद यानि एक साल बाद भी खसरा संधारण का काम नहीं किया गया है।

तो देखा आपने कि किस तरह से राजस्व विभाग नें छत्तीसगढ़ राज्य शासन के निर्देश को दरकिनार करते हुए बेवजह 15 दिनों में निपटारे वाले प्रकरण को निपटाने, 498 दिन लगा दिए यदि यही व्यवस्था बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब लोग व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन और धरना प्रदर्शन करनें मजबूर होंगे!

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