बिलासपुर

एपिसोड-3 कड़री के प्रभारी प्रधान पाठक रमेश साहू पर शाला अनुदान राशि का बंदरबांट करनें का गंभीर आरोप…कब होगी जाँच!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। बिलासपुर जिले में एशिया के सबसे बड़े विकास खण्ड बिल्हा में फ़र्जी मेडिकल बिल आहरण मामले की सुलगती आग ठंडी भी नहीं हो पाई थी कि प्रभारी बीईओ पर फ़र्जी यात्रा बिल पेश कर भुगतान को लेकर गंभीर शिकायत हो गई और जांच चल ही रही थी कि अब शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कड़री के प्रभारी प्रधान पाठक रमेश साहू पर शाला अनुदान राशि का बंदरबांट करनें का गंभीर आरोप उन्ही के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दिए गए सत्यापित दस्तावेज के आधार पर ख़बर लिखा जा रहा है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी सुशासन में व्यस्त हैं।

बिल्हा विकास खंड अंतर्गत शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कड़री के प्रभारी प्रधान पाठक इन दिनों गंभीर आरोपों के घेरे में है। दस्तावेजी खबर है कि यहां के प्रभारी प्रधान पाठक ने शाला के विकास के लिए आई अनुदान राशि का जमकर ‘बंदरबांट’ किया है।

सूचना के अधिकार से प्राप्त प्रमाणित दस्तावेज देखें तो अनुदान राशि का हिसाब किताब तो है लेकिन ज्यादातर बिल फ़र्जी बनाए गए हैं हिसाब-किताब के नाम पर भृष्टाचार साफ दिखाई दे रहा है।

प्रभारी प्रधान पाठक ने फ़र्जी बिल बनवाकर शाला अनुदान की बड़ी राशि डकार ली है।

विभागीय सूत्रों ने बताया कि ये वही प्रधान पाठक हैं जिन्होंने कुछ साल पूर्व इनके द्वारा संचालित प्राइवेट स्कूल (सीतादेवी) का निरीक्षण करनें गये बिल्हा के पूर्व बीईओ पर रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगाते हुए जेडी बिलासपुर से शिकायत की थी। फिर विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय की काफ़ी फजीहत भी हुई थी। अधिकारियों ने ले देकर अपना दामन बचाया था।

हाल ही में खबर खास की टीम ने कडरी विद्यालय का निरीक्षण किया और ग्रामीणों से बात की तब पता चला कि प्रधान पाठक यदा कदा ही विद्यालय आते हैं और एक साथ उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर कर देते हैं। विद्यालय में न तो छात्रों के लिए पर्याप्त संसाधन हैं और न ही मूलभूत सुविधाओं का विकास हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर योजनाओं के नाम पर आई राशि और राशि से खरीदे गए समान है कहां?

अब देखना यह है कि समग्र शिक्षा विभाग इस गंभीर मामले पर क्या कार्रवाई करता है? क्या इस ‘बंदरबांट’ के जिम्मेदार पर शिकंजा कसा जाएगा या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? कड़री के लोग इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठे हैं और चाहते हैं कि शाला अनुदान की लूटी गई राशि का पाई-पाई का हिसाब हो। यह सिर्फ एक विद्यालय का मामला नहीं है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार के नासूर को उजागर करता है। अब समय है कि इस नासूर को जड़ से उखाड़ फेंका जाए!

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