बिलासपुर

मंत्री जी… फेलियर ड्राइंग डिजाइन पर बनाया जा रहा है बैराज! जिम्मेदार अधिकारी भी जल्द हो जाएंगे रिटायर्ड… फिर किसके सर फोड़ेंगे ठिकरा… और कौन होगा जिम्मेदार!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। बरसों पहले बिलासपुर की जीवनदायिनी नदी कहलाने वाली अरपा नदी जहां अब स्मार्ट शहर का कूड़ा करकट और लोगों के घरों से निकलने वाला गटर का गंदा पानी नालों के माध्यम से बहकर इस बरसाती नदी “अरपा” पर छोड़ा जाता है उस पर “खारंग जल संसाधन संभाग” द्वारा दो बैराज एक पचरी घाट और दूसरा शिव घाट पर निर्माण किया जाना प्रस्तावित किया गया है। जिसकी वर्तमान में स्वीकृति भी शासन से मिल गई है। विभागीय दस्तावेज में इसकी घोषणा 07.09.2019 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी के द्वारा किया गया बतलाया जा रहा है।

जानकारों और विभागीय सूत्रों की माने तो इसकी प्रशासकीय स्वीकृति आनन-फानन में 50, 50 करोड़ रुपए करा लिया गया है। लेकिन जब इस बैराज की तकनीकी स्वीकृति की बारी आई तो अधिकारियों के हाथ पैर फुल गए क्योंकि उन्हें मालूम था कि यह निर्माण इतनी कम कीमत (लागत) पर होना संभव नहीं था। यदि विभाग द्वारा पुनः प्रशासकीय
स्वीकृति हेतु शासन को भेजा जाता तो अधिकारियों की गलती पकड़ी जाती और भ्रष्टाचार की पोल खुल जाती, इसलिए तकनीकी रूप से,पुरा का पुरा स्ट्रक्चर गलत होने के बाद भी निर्माण हेतु टेंडर लगा दिया गया टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की वजह से टेंडर एक बार निरस्त भी किया गया और फिर 15 % कम दर पर ठेकेदार सुनील अग्रवाल को दे दिया गया।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह वही ठेकेदार सुनील अग्रवाल है जिसनें “अरपा भैसाझार बैराज” का निर्माण किया है। आप को ज्ञात होगा अरपा भैसाझार की नहर कोटा, तखतपुर और बिल्हा तक गई है और सिंचाई के नाम 10 हजार हेक्टेयर बताया जा रहा है जबकि यह भी फर्जी रिपोर्ट बनाकर पेश कर दिया गया है। जबकि हकीकत में अरपा भैसाझार परियोजना से 25 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होना था। जिसकी मियाद निर्माण पूर्ण करने की 36 माह का था और आज 8 वर्ष हो गया इस परियोजना की शुरूआती लागत 6 सौ 6 करोड रूपए था। जो आज बढ़कर आज 1250 करोड रूपए हो गया है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है की इस अरपा भैंसाझार बैराज में कितने बड़े पैमाने पर भर्ष्टाचार किया गया है और पुनः ऐसे ठेकेदार को एक बार फिर से अरपा नदी में बैराज बनाने का अब टेंडर स्वीकृत कराने की तैयारी शुरू हो गई है संभवतः इसे निर्माण करने की स्वीकृति भी मिल गई है।

विभागीय सूत्रों और जानकारों की माने तो बैराज की ड्राइंग और डिजाइन गलत है और पुरानी है।

जानकर कहते हैं कि अरपा नदी में पूर्व में दो बड़े निर्माण बैराज के रूप में हो चुका है जैसे

1.बिलासपुर डायवर्सन स्कीम जिसकी चौड़ाई लगभग 120 मीटर है और लागत 15 करोड़ है।

2. सलका डायवर्सन जिसकी चौड़ाई लगभग 100 मीटर है और लागत लगभग 20 करोड है।

3,लछनपुर डायवर्सन स्कीम जिसकी चौड़ाई लगभग 130 मीटर है और लागत लगभग 25 करोड है ।
4. आमा मुडा डायवर्सन स्कीम जिसकी चौड़ाई लगभग 150 मिटर है। जिसकी लागत लगभग 100 करोड है।

नदी में यह उपरोक्त पांचों बैराज में पानी भराव की क्षमता लगभग 5 मीटर है। जो काफी बड़ा स्ट्रक्चर माना जाता है और यह सफलता पूर्वक खड़े हैं। उसका प्रमुख कारण है कि इसे हाई रॉक में उसके पियर को स्थापित किया जाना है।

जबकि इससे पहले अरपा नदी पर दो संरचनाएं एनीकट के रूप में बनाया जा चुका है और वह दोनों एनीकट बह चुका है।

1. चांटा पारा एनिकट जिसकी चौड़ाई लगभग 130 मीटर है और लागत 7 करोड़ है।

2.सोनपुर नगोई एनिकट जिसकी चौड़ाई लगभग 100 मीटर है जिसकी लागत 6 करोड़ है।

उपरोक्त दोनों एनीकट में पानी भराव की क्षमता 1. 5 मीटर है । नये बनने जा रहे बैराज की तुलना में यह काफी छोटा निर्माण है। जो रेत में निर्मित थे जिसकी वजह से यह दोनों एनीकट बह गए,प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने वाले एसडीओ और सब इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया था और जांच के नाम पर महज खानापूर्ति कर लीपापोती कर दिया गया। किसी भी उच्च अधिकारी पर कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं किया गया है।

विभागीय सूत्रों की माने तो वर्तमान में बिलासपुर में बनने जा रहे दो बड़े बैराज की ड्राइंग और डिजाइन पूर्व में बहे हुए दो एनीकट जैसी ही है । इसमें और पूर्व में बनाये गए एनिकट में कोई भी अंतर नहीं है। जानकारों का ऐसा मानना है कि अरपा नदी पर यह बनने वाले दोनों बैराज पर जल संसाधन विभाग एक प्रयोग करने जा रहा है। इतना बड़े बैराज को रेत के ऊपर में स्थापित करने जा रहा है। जानकर इसे रिस्क मानते हैं बिलासपुर में गिरते स्तर को बढ़ाने जनता के हित को लेकर ऐसा रिस्की प्रयोग क्यों किया जा रहा है यह सवाल उठना भी लाजिमी है।

जानकारों का कहना है कि इस बैराज के निर्माण से पूर्व किसी बड़े आईआई टी रुड़की या खड़कपुर जैसे संस्थान से सलाह लेकर करानी चाहिए थी क्योंकि बैराज में जल भराव क्षमता लगभग 4.5 मीटर होना है जो बड़े बैराज में आता है जबकि 1 पॉइंट 5 मीटर जलभराव वाले एनीकट पहले से ही फेल हो चुके हैं इस तरह से बनाए जा रहे दोनों बैराज पूरी तरह से फेल और भ्रष्टाचार की बलि चढ़ने जा रहा है। इस पर एसडीओ और ऐसी सभी अधिकारियों की मिलीभगत साफ झलक रही है और इसकी ड्राइंग डिजाइन पूरी तरह फेल है।

उनका कहना है कि पहले की तरह एक बार पुनः सरकार को गुमराह कर बैराज निर्माण में भ्रष्टाचार कर जनता के पैसे का बंदरबांट करने की तैयारी चल रही है।

शासन को चाहिए कि इस बैराज की ड्राइंग और डिजाइन की किसी बड़े इंजीनियरिंग ‌सेंटर से पूरी तरह से जांच कराया जाएं और दोषियों पर कार्रवाई कर नए सिरे से ड्राइंग और डिजाइन बनाकर उक्त कार्य को कराया जाना उचित होगा।

गौरतलब है कि इसकी तकनीकी स्वीकृति चीफ इंजीनियर सोमावार के द्वारा दिया गया है। जो कुछ दिनों में रिटार्यड होने वाले हैं साथ ही फर्जी जाति मामले में फसे हुए है और न्यायालय से स्टे लेकर बचे हुए हैं जिनको राज्य शासन के द्वारा फर्जी जाति मामले में दोषी करार दिया जा चुका है।

दूसरे नम्बर पर अधीक्षण अभियंता रामास्वामी नायडू भी एक वर्ष के भीतर रिटायर्ड होने वाले हैं और तीसरे नंबर पर ई ई आर पी शुक्ला हैं वह भी लगभग 8 माह बाद रिटार्यड होने वाले है। महत्वपूर्ण सवाल यह कि,जब बैराज निर्माण के जिम्मेदार रिटायर्ड हो जाएंगे तब इस बैराज में होने जा रहा खामियों,लापरवाहियों का खामियाजा बिलासपुर की जनता को भुगतनें एक बार फिर से तैयार रहना होगा।

कल जल संसाधन विभाग के मंत्री द्वारा पूरे लावलश्कर के साथ स्थल का निरीक्षण किया गया है। कुल मिलाकर उड़ती उड़ती खबरें यह भी है कि नियमानुसार अनुबंध हुए बगैर शिलान्यास नहीं किया जाता लेकिन…
सूत्रों की मानें तो विधायक भी बनने वाले बैराज की ड्राइंग डिजाइन से संतुष्ट नहीं थे और इसे बदलवाने का प्रयास किया गया लेकिन इन महारथियों के सामने उन्हें भी सफलता नहीं मिली।

बहरहाल अरपा नदी में बनने वाले लगभग 100 करोड़ की लागत से दोनों बैराज निर्माण के बाद सफल होगा कि गारंटी देने वाला कोई नहीं बिलासपुर वासी सीवरेज की तरह इस योजना के फेल हो जाने पर खुद को ठगा महसूस करेंगे!

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