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एपिसोड-2 शाला अनुदान राशि का फर्जी बिल भुगतान… प्रधान पाठक पर अधिकारी मेहरबान!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। ये कहना पूरी तरह गलत नहीं होगा कि इन दिनों विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा एवं कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारियों एक लंबे समय से लापरवाही, उदासीनता व अव्यवस्था को लेकर सुर्खियों में बने हुए है।

मुख्यमंत्री के पास स्कूल शिक्षा विभाग होने के बावजूद शिक्षा व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश बिल्हा विकास खण्ड स्तर पर दिखाई नहीं दे रही है।

ना विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय में कुछ सुधार दिखाई देता है ना बिल्हा अंतर्गत संचालित सरकारी स्कूलों में की अव्यवस्था में ही कोई सुधार नजर आता है।

बच्चों का भविष्य गढ़ने और सरकारी स्कूल भवनों के रख रखाव के लिए सरकारी योजनाओं और शाला अनुदान की राशि हर साल जारी की जाती है जिसके दम पर ले दे कर बड़ी मुश्किलों से स्कूल संचालित हो रहे हैं उसमें भी प्रधान पाठक ही बच्चों को केला और सेव खिलाने के नाम पर फ़र्जी बिल लगाकर खुले आम भृष्टाचार कर रहे हैं इस बिल को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है।

यह बिल बिल्हा विकास खण्ड अंतर्गत संचालित पूर्व माध्यमिक शाला कडरी का हैं जहाँ रमेश साहू प्रभारी प्रधान पाठक हैं। इस बिल में तारीख है 3 फरवरी 2025 की और तीन कैरेट केला खरीदा गया है जिसकी कीमत बिल में 1230 रुपए बताई गई है और हम पाठकों को बता दें कि एक कैरेट में 12 से 14 दर्जन केला आता है तीन कैरट में 432 नग केला आया और 10 किलो सेव 1250 रुपए का ये शाला अनुदान की राशि है इसे इस तरह से ख़र्च करनें का प्रावधान नहीं है। बावजूद इसके प्रधान पाठक का फर्जी बिल बनाना अपने आप मे एक बड़ा सवाल है!

सरकारी स्कूलों में पदस्थ प्रधान पाठक शासन की योजनाओं के नाम पर स्कूलों को जारी की गई राशि का बंदरबांट करनें में डीईओ और बीईओ को पीछे धकेल दे रहे हैं। मतलब सब कुछ कागजों पर हो रहा है लेकिन जिम्मेदार देख कर अनदेखा कर रहे हैं यहाँ भी ले दे कर मामला रफा दफा किया जा रहा है चाहे आय व्यव का ब्यौरा पेश करने की बात हो,बिल बाउचर बनाना हो और ऑडिट करवाया जाना हो,रिपोर्ट देना हो, जिम्मेदार सब कुछ आँख मूंद कर कुछ भी करनें को तैयार है बस सब कुछ लाभ लाभ के फार्मूले पर चल रहा हो।

योजनाओं के नाम पर आई धनराशि का सम्पूर्ण लाभ स्कूल में पदस्थ प्रभारी प्रधान पाठक जम कर उठा रहा है।

जरूरत है जिला शिक्षा अधिकारी मामले को संज्ञान में लेकर एक निष्पक्ष जांच का आदेश दे ताकि योजनाओं के नाम पर आई राशि एक प्रधान पाठक द्वारा फ़र्जी बिल बना कर ना डकार ले।

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