सूचना के अधिकार के प्रकरण…कछुए की चाल से हो रही सुनवाई…अधिकारियों की उदासीनता का खमियाज़ा अपीलार्थियों को पड़ रहा भुगतना।

सूचना अधिकार अधिनियम की उड़ रही धज्जियां, प्रथम अपीलीय अधिकारी के रवैये पर उठे सवाल,
शिक्षा विभाग बिलासपुर में जवाबदेही का अभाव, मजबूरी में राज्य सूचना आयोग तक पहुंच रहे अपीलार्थी। जिम्मेदार उच्च अधिकारियों को अपने वातानुकूलित चेम्बर से निकल कर गंम्भीरता से मामले को संज्ञान में लेकर ठोस कदम उठाना चाहिए।
खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों को दरकिनार करने का मामला जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिलासपुर में सामने आया है। जन सूचना अधिकारी से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक समय सीमा में सूचना उपलब्ध कराने में लापरवाही बरत रहे हैं। वहीं, प्रथम अपील अधिकारी भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन नियमानुसार नहीं कर रहे, जिससे आवेदकों को राज्य सूचना आयोग का रुख करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। जन सूचना और अपीलीय अधिकारी की उदासीनता का खमियाज़ा अपीलार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।
सूचना के अधिकार का हो रहा उल्लंघन
आरटीआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि सूचना के अधिकार अधिनियम पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बना था, लेकिन ना तो जन सूचना अधिकारी ना ही जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिलासपुर में इस अधिनियम का पालन नहीं हो रहा। कई मामलों में सूचना देने में जानबूझकर देरी की जा रही है, तो कई मामलों में जानकारी ही नहीं दी जा रही।
जनसूचना अधिकारी व प्रथम अपील अधिकारी के रवैये से आवेदक परेशान
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने बताया कि जब सूचना समय पर नहीं मिलती, तो आवेदक प्रथम अपील अधिकारी के पास अपील करते हैं। लेकिन यहां भी सुनवाई में देरी हो रही है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “सूचना अधिकार अधिनियम में पारदर्शिता के बावजूद सूचना देने में देरी क्यों हो रही है?”
राज्य सूचना आयोग तक पहुंच रहे मामले
सूचना प्राप्त न होने के चलते कई आवेदकों को मजबूरन राज्य सूचना आयोग जाना पड़ रहा है। आयोग में वैसे भी लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे यह साफ है कि जन सूचना और प्रथम अपील अधिकारी अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे।
प्रथम अपील अधिकारी की जिम्मेदारी क्या होती है?
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्रथम अपील अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वह अपीलकर्ता की शिकायतों की निष्पक्ष सुनवाई करें और यदि सूचना देने में कोई लापरवाही हुई है, तो संबंधित अधिकारी को निर्देश दें। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में यह प्रक्रिया सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आ रही है। आदेश जारी किए जाने में 45 दिन से ऊपर का समय लग रहा है।
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने की कार्रवाई की मांग
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन प्रमुख कलेक्टर बिलासपुर से मांग की है कि सूचना अधिकार अधिनियम के सही क्रियान्वयन के लिए कठोर कदम उठाए जाएं। साथ ही, जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपील अधिकारी को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया जाए, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।