भारतीय संसद में पारित आर.टी.आई.एक्ट को धता बतलाने वाले बीईओ और डीईओ की मनमानी उजागर…जानकारी छिपाने नियम विरुद्ध आदेश जारी कर…सूचना का अधिकार अधिनियम की उड़ाई जा रही धज्जियाँ।

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर।इन दिनों जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिलासपुर में सूचना के अधिकार के तहत हो रही अपीलीय प्रकरणों की सुनवाई जानबूझकर धीमी गति से की जा रही है बार बार सुनवाई की तारीख बदली जा रही है,पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व की कमी से अपीलार्थी परेशान हो रहे हैं ऊपर से बिना प्रकरणों की सुनवाई पूरा किए ही अपीलार्थियों को डाक से आदेश भेजा जा रहा है इससे जनसूचना अधिकारी और अपीलीय अधिकारी की लापरवाही उजागर हो रही है मतलब जानबूझकर सूचना का अधिकार अधिनियम की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है।
मामला विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा, मस्तूरी,तखतपुर व कोटा का निकल कर सामने आया है। जब आवेदक नें 2024 को सभी जन सूचना अधिकारी से आवेदन देकर पिछले 5 वर्ष में प्राप्त आवंटन आकस्मिक व्यय निधि की जानकारी मांगी तब जनसूचना अधिकारी बिल्हा और मस्तूरी नें 2024 में अपील करनें पर जानकारी उपलब्ध करा दिया। किंतु कोटा और तखतपुर विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय नें उन्हें अब तक आबंटन प्राप्त नहीं हुआ है का पत्र भेजकर पल्ला झाड़ लिया।
आवेदक नें विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा, मस्तूरी,तखतपुर व कोटा को मिले आकस्मिक व्यव निधि आबंटन की जानकारी जनसूचना अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिलासपुर से मांगा तब 76 पेज की जानकारी प्राप्त हुई। तब कहीं जाकर खुलासा हुआ कि कोटा और तखतपुर विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी जानबूझकर जानकारी छिपा रहे हैं।
आवेदक नें प्रथम अपीलीय अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अपील किया। अपीलीय प्रकरण की सुनवाई टलती रही,फिर डाक से 28/02/2025 को जारी हुआ आदेश आज प्राप्त हुआ जो चौकाने वाला था। आदेश था कि जन सूचना अधिकारी विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कोटा/तखतपुर द्वारा प्रकरण पर की गई कार्यवाही मान्य किया जाता है। अपीलार्थी द्वितीय अपील में जाने हेतु स्वतंत्र है।
सवाल यह कि जब जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ही सूचना के अधिकार के तहत 74 पृष्ठ की दी गई जानकारी में इस बात की पुष्टि करता है कि आकस्मिक व्यव निधि आबंटन राशि चारों विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय को प्रदाय की गई है तो फिर यह अपीलीय प्रकरण क्रमांक 106/107 में ऐसा आदेश?
मजे की बात यह कि सूचना का अधिकार अधिनियम2005 के अंतर्गत कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर छ ग में अपीलीय अधिकारी डॉ अनिल तिवारी जिला शिक्षा अधिकारी को बताया गया है जबकि इन अपीलीय प्रकरण की सुनवाई एक बार भी डॉ अनिल तिवारी नें सुना ही नहीं। हालांकि उनके आदेश उनके नाम पद पर जारी किया गया है।
हालांकि अपीलार्थी राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील एवं शिकायत किए जाने की बात कही है लेकिन ऐसा आदेश शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता नजर आता है जरूरत है जिम्मेदार उच्च अधिकारियों को संज्ञान लेने की ताकि भारतीय संसद द्वारा पारित आर टी आई अधिनियम 2005 में निर्दिष्ट नियमों का पालन करें साथ ही आर टी आई एक्ट का सम्मान करें। ताकि सरकार और आरटीआई एक्ट का पालन कराने वाले जिम्मेदार अधिकारियों के प्रति आम जनता का विश्वास बना रहे।
बहरहाल यह एक गंभीर मामला है एवं राजकीय कर्तव्यों की अवहेलना है साथ ही साथ अपिलार्थीयों के लिए मानसिक प्रताड़ना से जूझने जैसा है देखना होगा कि क्या जिम्मेदार अधिकारी मामले को लेकर कोई ठोस कदम उठाते हैं या नहीं!