एपिसोड-9 मिठलबरा के गोठ “देश का भविष्य कहे जाने वाले नवनिहालों का भविष्य अधर में “निजी स्कूल गाड़ रहे झंडा!”

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर।हमारी सरकार बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ अभियान चला रही। ये स्लोगन पढ़ने से लगता है कि शायद शिक्षा से जुड़ा हुआ है और वह भी बेटियों को बचाने और शिक्षित करनें की मुहिम का एक हिस्सा है। जागरूक माता पिता अपनी बेटियों को सरकारी स्कूल में निःशुल्क पढ़ा रहे हैं। अलबत्ता उच्च स्तर से निम्न स्तर पर सतत मोनिटरिंग के अभाव में सरकारी शिक्षा के हालात बद से बद्दतर होते जा रहे हैं।
क्योंकि आज भी सरकारी स्कूलों में बच्चों की कम उपस्थिति इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि प्राइवेट स्कूलों की तुलना में ना सही किन्तु कछुए की चाल से चल तो रहे हैं भले पढ़ाई हो या नहीं, टीचर स्कूल आएं या नहीं,आए तो पढाएं या ना पढ़ाएं।
छत्तीसगढ़ में मुख्य मार्ग के किनारे बोर्ड पर लिखा आपको यात्रा के दौरान दिखलाई देता है स्लोगन, बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ अच्छा है लेकिन कितना सच्चा है स्लोगन इस बात पर संदेह है क्योंकि इन दिनों सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई बिल्कुल ठप्प है बच्चे क्लास में टाइम पास कर रहे हैं। स्कूल से शोरगुल की आती आवाज चीख चीख कर चुगली करती है कि या तो शिक्षक आए हैं लेकिन क्लास में नहीं है या फिर स्कूल आए ही नहीं।
निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की तनख्वाह बहुत ज्यादा है लेकिन पढ़ाई की तुलना में कम है।
क्योंकि टीचर्स की चुनाव के पूर्व चुनाव ड्यूटी लगाई गई है ऐसे में देश का भविष्य कहे जाने वाले नवनिहालों का भविष्य अधर में है दूसरी तरफ निजी स्कूल गाड़ रहे झंडा।
शिक्षा विभाग में पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी जो एयर कंडीशनर रूम से ये देखने भी बाहर नहीं निकलते कि उनके जिले में संचालित सरकारी स्कूलों और अध्ययनरत बच्चों की क्लास लग भी रही है या नहीं, शिक्षक पढ़ा भी रहे हैं या नहीं। बच्चे कुछ सीख रहे हैं कि नहीं!