बी ई ओ बिल्हा का अनोखा कारनामा. नियम कायदों को ताक पर रख,लेक्चरर क़ो बनाया कंप्यूटर ऑपरेटर!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। शिक्षा विभाग में मनमानी का दौर जारी है बात विकास खंड शिक्षा कार्यालय बिल्हा से निकलकर सामने आया है। बी ई ओ बिल्हा नें शासन के नियमों को अनदेखा करते हुए एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है. उन्होंने एक लेक्चरर क़ो कंप्यूटर ऑपरेटर बना दिया है इस पोस्टिंग पर सभी लोग सवाल खड़े कर रहे हैं।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान प्रभारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी रघुवीर सिंह राठौर पूर्व में सहायक संचालक साक्षर भारत के पद पर पदस्थ थे उस दौरान भी उन्होंने शासन के नियमों के साथ खिलवाड़ करते हुए अपने करीबियों क़ो साक्षर भारत में संलग्न करने का खूब मनमानी की।
अब शासन की ओर से बिल्हा के प्रभार पर बीईओ के पद पर पदस्थ हैं और इसी कड़ी में उन्होंने श्रीमती जया हरणगांवकर व्याख्याता क़ो अपने कार्यालय में सहायक परियोजनाधिकारी के रूप में संलग्न किया है। जिसकी चर्चा हर किसी की जुबान पर है।
साला मैं तो साहब बन गया गाने के तर्ज पर प्रभार ग्रहण करने के बाद साक्षर भारत के कर्मचारी क़ो beo कार्यालय में अनाधिकृत रूप से कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में संलग्न कर लिया गया। ऐसी जानकारी विभागीय सूत्रों से निकल कर सामने आई है।
शिक्षा विभाग के जानकारों का मानना है कि व्याख्याता क़ो deo के आदेश से ही संलग्न किया जा सकता हैं. पर यहाँ beo के आदेश से संलग्न किया गया है. संविलियन के पश्चात् व्याख्याता राजपात्रित अधिकारी माने जाते है पर अब उन्हें कंप्यूटर ऑपरेटर बना दिया गया है।
आश्चर्य की बात यह है कि कार्यालय के किसी कर्मचारी क़ो पता ही नहीं है की जया हरण गांवकर नामक कोई शिक्षक कार्यालय में संलग्न है,ना ही उपस्थिति पंजी में नाम दर्ज है और ना ही कभी कार्यालय में उपस्थित हुई है और वेतन लगातार प्राचार्य शासकीय हाई स्कूल पौसरा द्वारा बनाया जा रहा है।
जिला शिक्षा अधिकारी को समझना होगा कि जिन छात्र छात्राओं का भविष्य गढ़ने इन शिक्षिका को पौंसरा के स्कूल में पदस्थापना दी गई है प्रति माह वेतन जारी किया जा रहा है आखिरकार वो शिक्षिका बिल्हा बीईओ कार्यालय में किसके आदेश पर संलग्न की गई हैं और क्यों?
क्या यह सिविल सेवा आचरण अधिनियम का उल्लंघन नहीं? कुल मिलाकर मामला गंभीर है जिला शिक्षा अधिकारी को संज्ञान में लेते हुए जांच कराने का आदेश जारी किया जाना चाहिए ताकि मनमानी करने वाले अधिकारी और बच्चों के शिक्षा बाधित करने वालों को सबक मिल सके।
बहरहाल अपने करीबियों क़ो लाभ पहुँचाने के मकसद से संलग्नीकरण के इस खेल पर लगाम लगाने जिला शिक्षा अधिकारी कितने कामयाब होते हैं ये तो आने वाला समय ही तय करेगा!