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सरकारी स्कूल, हालात बद से बदतर… शिक्षक उपस्थिति पंजी का रहस्य!तनख्वाह पूरी…उपस्थिति आधी-अधूरी!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर:- विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा अंतर्गत सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित प्राथमिक शाला पौंसरा, संकुल केंद्र पौंसरा भी उन सरकारी स्कूलों में शामिल है जहाँ शिक्षकों द्वारा सरकारी नियमों की बेखौफ अनदेखी की जाती है।

पाठकों को बता दें कि आज हमारी खबर खास की टीम पौंसरा के प्राथमिक शाला पहुँची तब स्कूल में ताला बंद था बच्चे स्कूल का द्वार खोले जाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

स्कूल के सफ़ाई कर्मी द्वारा ताला खोले जाने और साफ सफाई के बाद भी तीन शिक्षक के अलावा 7 शिक्षक स्कूल नहीं पहुँचे थे।

यह सरकारी स्कूल की घड़ी है जो शिक्षकों की लेट लतीफी की गवाह बन गई है। इस स्कूल में कुल 302 बच्चे दर्ज हैं और प्रधान पाठिका को मिला कर 11 शिक्षक, बच्चों के अध्यापन कार्य के लिए पदस्थ हैं। लेकिन दस बजे के बाद भी प्रार्थना में कुल तीन शिक्षक ही उपस्थित थे। स्थानीय लोगों की मानें तो यहाँ ऐसा ही होता है।

ये तसवीर स्कूल निरीक्षण के लिए जिम्मेदार संकुल समन्वयक साधेलाल पटेल,संकुल प्राचार्य, सहायक विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी, विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी बिल्हा श्रीमती सुनीता ध्रुव और वातानुकूलित कक्ष में आराम फरमाने वाले जिले के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचरियों की पोल खोलते नजर आती है।

सरकारी स्कूल गरीबों के लिए एक ऐसा स्कूल है जहाँ बच्चों को पढ़ने के लिए सरकार सभी सुविधाएं उपलब्ध करानें का बड़े बड़े दावे करती है लेकिन यहाँ पर बच्चों के बैठने के लिए दरी का अभाव है फिर भी सुविधाओं के अभाव में भी बच्चे पढ़ने, अपना भविष्य गढ़ने बड़ी संख्या में आते हैं।

जब हमनें प्रधान पाठिका से शिक्षकों की उपस्थिति रजिस्टर दिखाने के लिए कहा तो उनके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी उन्होंने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि कुछ शिक्षकों की ड्यूटी बी एल ओ और ओबीसी के लिए लगाई गई है। एक सरकारी स्कूल में सरकारी तनख्वाह पर शिक्षा देने वाले शिक्षकों की उपस्थिति पंजी को लेकर एक जिम्मेदार प्रधान पाठिका का इस तरह से मीडिया के सामने गोपनीयता बरतना शिक्षकों सहित किसी गंभीर लापरवाही को छिपाने जैसा है।

शिक्षकों की उपस्थिति और रजिस्टर की गोपनीयता का मामला अब कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है। आखिरकार शिक्षक उपस्थिति रजिस्टर की गोपनीयता का रहस्य क्या है,क्या कोई शिक्षक बिना काम के तनख्वाह ले रहा है या कुछ और ही गड़बड़ी उजागर होने का डर…शीघ्र ही इस बात का खुलासा किया जाएगा!

समस्या की बात करें तो प्रधान पाठिका नें बतलाया कि पानी के लिए हैंडपंप पर मोटर लगा है किन्तु ग्रामीण इलाका होने से आए दिन बिजली गुल होने की समस्या रहती है जिससे मध्यान भोजन प्रभावित होता है।

स्कूल का बाउंडरी वाल गेट विहीन है जिससे मवेशियों सहित आए दिन असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा होता है।

तस्वीरों में जर्जर टूटा फूटा गंदा सीलन भरा रसोई घर बतलानें के लिए काफ़ी है कि हमारे जिम्मेदार शिक्षा अधिकारी निरीक्षण को लेकर कितने उदासीन हैं उन्हें तो बस तनख्वाह चाहिए!

बहरहाल यदि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से करते तो शायद सरकारी शिक्षा का हाल बेहाल ना होता!

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