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सरकारी स्कूलों में C.L. और E.L. का खेल बदस्तूर जारी…। BEO और DEO पर शिक्षक और प्रधानपाठक पड़ रहे भारी।

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर।इन दिनों सरकारी स्कूलों में टीचर्स द्वारा आपसी तालमेल से छुट्टी का आवेदन पत्र लिखकर देने के बाद भी पूरी तनख्वाह लेने नए नए फंडे अपनाए जा रहे हैं। स्कूलों में पदस्थ प्रधानपाठक,प्रधानपाठिका,शिक्षक और शिक्षिकाओं नें स्कूल से छुट्टी मारने के लिए C.L. (कैजुअल लिव) और E.L. (अर्निंग लिव) का खेल बीईओ और डीईओ के संरक्षण में खेलना शुरू कर दिया है जो अब तक बदस्तूर जारी है।

पाठ्यांक मतलब प्रधानपाठिका,प्रधानपाठक,गुरूजी एवं शिक्षिकाओं की उपस्थिति का (काला चिट्ठा)रजिस्टर जिसमें C.L. और E.L. का तिकड़मी खेल खेला जा रहा है इन्हें ना तो अपने उच्च अधिकारियों का डर है ना ही सिविल सेवा आचरण नियम की चिंता इसलिए ये बेखौफ 13 से अधिक CL को बिना स्वीकृति कूटरचना कर EL बना BEO और DEO पर भारी पड़ रहे हैं।

इतना ही नहीं यदि कोई आम जनता या पत्रकार धोखे से या सूत्रों से मिली जानकारी की पुष्टि के लिए स्कूल चला भी जाता है तो उन्हें गड़बड़ी उजागर होने के डर से पाठ्यांक रजिस्टर दिखलाने की बजाय उनसे अपने (आका) अर्थात उच्च अधिकारी BEO या DEO का लिखित अनुमति आदेश मांगा जाता है।

उन्हें मालूम है कि हमारे उच्च अधिकारियों के संरक्षण और कमीशन पर खेलें जाने वाले इस नियम विरुद्ध खेल पर अधिकारी मीडिया के पूछे जाने वाले सवाल का कोई ना कोई गोल मोल जवाब देकर हमें और खुद को बचा लेंगे।

बचने बचाने के अनेक रास्ते अपनाए जाते हैं जैसे पाठ्यांक पंजी के आधार पर वेतन निर्धारित करनें कब्जुल वसूल नामक प्रपत्र तैयार किया जाता है जो हकीकत में CL और EL से जुदा होता है। जिस वजह से शिक्षकों को बिना अध्यापन कार्य किए ही पूरी की पूरी तनख्वाह मिल जाती है। वो कहावत भी चरितार्थ हो जाती है कि हींग लगे ना फिटकरी रंग चोखा का चोखा। ऐसे सरकारी शिक्षक और प्रधानपाठक द्वारा सरकारी खजाने को चूना लगाया जाता है।

ऐसा मामला प्रायः जिले के ज्यादातर स्कूलों में देखने और सुनने में आ रहा है। शासन के नियमानुसार स्कूल में पदस्थ कुल शिक्षकों का 50 फीसदी से अधिक शिक्षकों को कोई भी अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता बावजूद इसके शिक्षकों और प्रधानपाठक द्वारा बेखौफ अवकाश लिया जा रहा है।

सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध छुट्टियों को आमतौर पर तीन कैटेगरी में बांटा जाता है, जिसमें सिक लीव, कैजुअल लीव (CL) और अर्निंग लीव (EL) शामिल होती हैं। इनमें से एक साल के दौरान नहीं ली गई कैजुअल लीव और सिक लीव आमतौर पर लैप्स यानी खत्म हो जाती हैं, लेकिन EL को आगे आगे बढ़ा दिया जाता है।

किसी किसी स्कूलों में यह भी देखने में आया है कि टीचर्स नियम विरुद्ध 21 -21 दिनों का CL ले रहे हैं और निरीक्षण में आए शिक्षा अधिकारी द्वारा उपस्थिति रिजिस्टर को देख कर भी अनदेखा किया जा रहा है।

क्रमशः……

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