दर दर भटकने मजबूर सरकारी स्कूल के सैकड़ों नवनिहाल और शिक्षक…हालात बद से बदतर… फिर भी हौसला बरकरार।

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। एक ऐसा सरकारी स्कूल जो शहर के बीचों बीच, शहर में स्थित होने के बावजूद सरकारी सुविधाओं के अभाव, अधिकारियों की अनदेखी, जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते नवनिहालों और शिक्षक दर-दर भटकने को मजबूर है। इतना ही नहीं स्कूल के साथ साथ सैकड़ों नवनिहाल और शिक्षक भी हालात से जूझने मजबूर हैं फिर भी नवनिहाल अपनी नन्ही आँखों में सपने लिए तल्लीनता से पढ़ाई कर रहे हैं इन्हें ना तो इस बात की फिकर है कि उनका स्कूल उधार के भवन में संचालित होता है और ना ही यहाँ नियुक्त शिक्षकों को इसका मलाल। छात्र अपनी पढ़ाई में मगन और शिक्षक पढ़ाने में।
हम बात कर रहे हैं बिल्हा विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय अंतर्गत संचालित प्राथमिक शाला लिंगियाडीह की जो अभी एक सामुदायिक भवन के दो कमरे में संचालित है ऐसा नहीं है कि यहां महज विद्यालय भवन का अभाव है यहां ना तो शौचालय है ना ही डामर रोड,नवनिहाल बस्ता उठाए उबड़ खाबड़ पथरीले पथ से अस्थायी स्कूल का सफर तय करते हैं।
उन तमाम जिम्मेदार लोगों के लिए यह बेहद शर्म की बात है कि यहां स्कूल तो संचालित है मगर ब्लैकबोर्ड ही नहीं है ऐसे हालात में बच्चों के बेहतर भविष्य की कल्पना बेमानी सी लगती है बावजूद इस व्यवस्था के अभाव में बच्चों की पढ़ने की ललक और शिक्षकों की शिक्षा के लिए बच्चों के प्रति समर्पण की भावना शिक्षा के अलख जो जलाए रखा है।
सवाल यह कि आखिर बच्चे और शिक्षक भटक क्यों रहे हैं,क्योंकि वर्षों पहले इन नवनिहालों को शिक्षा देने एक स्कूल भवन का निर्माण किया गया था मरम्मत के अभाव और जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते भवन इतना जर्जर हो गया कि बच्चों की जान को खतरा हो गया मीडिया नें बड़ी ईमानदारी से अपना दायित्व निभाया तब आनन फानन में जिला शिक्षा विभाग द्वारा तुगलकी फरमान जारी किया गया और तब से सब भटकने को मजबूर हो गए।
ये स्कूल उन सभी सरकारी स्कूलों के लिए एक मिशाल है जहाँ सारी व्यवस्थायें तो है लेकिन शिक्षा के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है।
यदि जिम्मेदार अधिकारी जनप्रतिनिधि इस खबर को पढ़ रहे हैं तो वे खुद फैसला करें क्या इन गरीब बच्चों को तमाम सुविधाओं के साथ अच्छी शिक्षा पाने का अधिकार नहीं!
अंत में बस इतना ही कि ज्ञान के मंदिर में मिलने वाली शिक्षा चाहे सरकारी हो या निजी, शिक्षा शिक्षा होती है जिसे प्राप्त करने बच्चे स्कूल जाते हैं लेकिन शायद हमारी सरकार सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हो रही है!