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वैध कोयले की अवैध तस्करी…!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। कोयले की कालाबाजारी मतलब अफरा-तफरी जिले में बदस्तूर जारी है। टिप मिलने पर कभी कभार छुटपुट कार्यवाही पुलिस द्वारा की जाती है और फिर खनिज विभाग को सौप दिया जाता है। कुल मिलाकर लगातार दिन रात हो रही इस बड़ी चोरी पर एक्का दुक्का मामले पर ही कार्यवाही की जाती है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जिले में नए एसपी या फिर आईजी के पदभार ग्रहण करने के बाद बड़े पैमाने पर कार्यवाही होती है फिर सब कुछ पहले की तरह नॉर्मल हो जाता है।

जबकि देखा जाय तो संचालित ओपन कास्ट खदान से निकलने वाले उच्च क्वालिटी के कोयले को नियोजित कंपनियों तक पहुँचाने हेतु अधिग्रहित अधिकतर वाहनों के चालकों द्वारा परिवहन के दौरान वैध और अवैध कोल डिपो संचालकों से सांठगाठ व मिलीभगत कर बीच रास्ते मे कोयला की जमकर अफरा तफरी का खेल खेला जा रहा है। जहां कंपनी में मिलावटी कोयला खपाकर जमकर चूना लगाते हुए अमानत में खयानत जैसे कृत्य को अंजाम दिया जा रहा है।

ज्ञात हो कि एसईसीएल की खदान से कोयला खनन का कार्य किया जा रहा है। खदान से कोयला परिवहन हेतु सैकड़ो ट्रक, ट्रेलर वाहन अधिग्रहित है जो नियोजित कंपनियों के लिए कोयला लेकर निकलती है। किंतु कोयला लोड कर बिलासपुर की ओर जाने वाली अधिकतर वाहनों के चालकों द्वारा रास्ते मे संचालित कोल डिपो संचालकों से मिलकर कोयले की अफरा तफरी की जाती है। इस खेल में वाहन में लोड उच्च क्वालिटी का कोयला डिपो संचालक को बेचा जाता है तथा उसके बदले उतनी ही मात्रा में घटिया चुरा व पत्थर युक्त कोयले की मिलावट कर कंपनी को खपा दिया जाता है। इस पूरे खेल में महज 20 से 30 मिनट का समय लगता है। क्योंकि कोल डिपो संचालक के पास इस काम को अंजाम देने के लिए चौबीसों घँटे तौल कांटा व जेसीबी मशीन उपलब्ध रहता है। इस अफरा तफरी के खेल में वाहन चालक व डिपो संचालक द्वारा आपसी मिलीभगत से कंपनी को मिलावटी कोयला खपा और जमकर चूना लगाते हुए दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे है।

‘ब’ से ‘बे’ के मध्य खुलेआम होता कोयले का काला कारोबार

बता दें कि बगदेवा कोरबा जिले की अंतिम व सरहदी सीमा है। जिसके बाद सीमावर्ती बिलासपुर जिला आता है। जहां बगदेवा परिक्षेत्र से लेकर बेलतरा (रतनपुर तक) के मध्य अनेक वैध अवैध कोल डिपो कुकुरमुत्ते की भांति खुल गए है। जहां रात के अंधेरे के अलावा दिन के उजाले में भी कोयले का काला कारोबार खुलकर होता है जिसमें सांठगांठ से प्रतिदिन लाखों की अवैध कमाई होती है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इन क्षेत्रों में पुलिस थाने नहीं है जिससे इन्हें खनिज विभाग अथवा पुलिस प्रशासन का कोई भय नही है। ऐसा लगता है मानो इनके संरक्षण में ही अवैध कोयला का पूरा कारोबार खुलेआम संचालित हो रहा है। जहां बेरोकटोक संचालित हो रहे इस अवैध खेल में कोल आधारित कंपनियों को सीधे चूना लगाया जा रहा है।

कोयले के काले कारोबार का ये एक ऐसा खेल है जिस पर ईमानदारी से रोक लगाने पर ना सिर्फ सरकार के राजस्व में बेतहाशा वृद्धि होगी वरन बहुत से अवैध धंधे पर रोक लगेगी।

क्रमशः …….

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