एपिसोड-5 टेंडर की आड़ में, अतिरिक्त कार्य का जुगाड़! ठेकेदार पर क्रेडा अधिकारी मेहरबान!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। कहते हैं कि यदि कोई विभाग प्रदेश के मुखिया के पास हो तो उस विभाग के सचिव से लेकर विभाग के अंतिम पद पर बैठा अधिकारी बहुत सजगता के साथ काम करता है क्योंकि पूरे प्रदेश की जनता के साथ साथ विपक्ष की निगाहें उस विभाग की कार्यप्रणाली पर टिकी होती हैं लेकिन उर्जा विभाग एक ऐसा विभाग है जिसमें पदस्थ अधिकारियों को ना तो प्रदेश के मुखिया का डर है ना उसकी क्षवि धूमिल होने की चिंता, उन्हें तो सिविल सेवा आचरण अधिनियम की भी परवाह नहीं उन्हें तो बस एक सनक सवार है कि कैसे नियम कानून को तोड़ मरोड़ कर अपने चहेते ठेकेदार को लाभ पहुँचाया जाय और खुद की जेबें गर्म कर सकें।
छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण ‘क्रेडा’राजकिशोर नगर बिलासपुर में “उद्यान”जीर्णोद्धार के नाम दो टेंडर जारी किए गए थे। दिनांक 3/11/2021 को जारी टेंडर क्रमांक 86373 में 15 वर्क आर्डर जारी किए गए इस वर्क आर्डर में कुल 188 कार्य करनें ठेकेदार को आदेश प्राप्त हुआ। अनुबंध में ज्यादातर कार्य 90 दिन,120 दिन के हैं। अनुबंध में कार्य पूरा करने में देरी के लिए जुर्माना राशि वसूलने का प्रावधान किया गया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अनुबंध में स्पष्ट किया गया है कि कार्य आदेश के विरुद्ध आदेशित कार्य की लागत क्रेडा से आगे प्राधिकरण के बिना अधिक नहीं होगी परंतु टेंडर होने और वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद से जितने भी छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण जोनल कार्यालय राजकिशोर नगर बिलासपुर में कार्यपालन अभियंता अधिकारी के रूप में पदस्थ रहे सभी नें ठेकेदार के मनमाफिक, टेंडर और वर्क ऑर्डर से हटकर ठेकेदार के लिए अन्य कार्य और भारी भरकम राशि स्वीकृत करनें ना केवल अनुमोदन का पत्र लिखा बल्कि अधिकारी और ठेकेदार के सांठगांठ से लिपकीय त्रुटि और संशोधन आदेश का पत्र लिखने का भी खेल बेख़ौफ़ खेला।
क्रेडा अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर विभागीय सूत्र हैरान हैं उनका और जानकारों का मानना है कि अन्य कार्य के लिए अलग से टेंडर प्रक्रिया शुरू किया जाना चाहिए था,जो नहीं किया गया अन्य कार्य करोड़ों के हैं यदि इस टेंडर के साथ साथ अन्य कार्य की आड़ में किए गए गड़बड़ घोटाले की सूक्ष्मता से जांच हो तो कई सनसनीखेज खुलासे हो सकते हैं।
फिलहाल इस पूरे टेंडर,वर्क ऑर्डर और लिपकीय त्रुटि एवं संशोधन के साथ साथ एक और मामला सामने आ रहा है कि कितने मामले में अनुबंध आदेश में तय समय सीमा पर कार्य पूर्ण नहीं किए जाने पर ठेकेदार को पेनाल्टी हुई!
अन्य कार्य की अनुमति किन नियमों शर्तों के तहत दी गई?
ऐसी क्या वजह थी कि यहाँ बैठे अधीक्षण अभियंता को अतिरिक्त कार्य स्वीकृति अनुरोध के साथ अतिरिक्त राशि जारी करने का अनुमोदन पत्र लिखना पड़ा?
क्या विभाग द्वारा ठेकेदार को कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है?
क्रमशः ……