मीठलबरा के गोठ…5 वां एपिसोड रिश्वतखोर,भृष्ट, बेईमान अधिकारियों की उड़ी नींद! गिन रहे दिन!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। इन दिनों प्रदेश के तमाम ऐसे विभाग और विभाग के मलाईदार पद पर चढ़ावा चढ़ाकर पदस्थ हुए रिश्वतखोर अधिकारियों की काली कमाई पर ईडी की पैनी नजर है। आय से कई गुना अधिक संपत्ति अर्जित करनें वाले अधिकारियों नें नियम कायदों से परे जाकर नाते रिश्तेदारों के नाम आलीशान बंगले,फ्लेट,बड़े बड़े फार्म हाउस, महंगी गाड़ियां, होटल खरीद रखें हैं।
दूसरी तरफ ईडी नें रिश्वत से कमाई अथाह दौलतबाज भ्रष्ट अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। उन्हें ना तो दिन में चैन मिलता है ना रातों को सुकून की नींद आती है। उन्हें तो सिर्फ ईडी के छापेमारी के भय सता रहा होता है। रिश्वत से कमाए अथाह दौलत की सुरक्षा का आश्वासन अब बेमानी लगने लगा है।
एक मुहावरा ईडी को लेकर भृष्ट अधिकारियों की मनःस्थिति पर सटीक बैठता है कि मान न मान, मैं तेरा मेहमान या तू मेरा मेहमान। भृष्ट अधिकारी अब कुछ अशुभ होने की आशंका से तथाकथित बाबाओं और भगवान की शरण में जा रहे हैं। ईडी से इन्हें ना तो बाबा बचा पा रहे हैं ना भगवान। ईडी का मेहमान बनने के बाद वही भृष्ट अधिकारी संकोचवश, ग्लानि अथवा अपराध भावना के कारण दूसरे की दृष्टि से बचने आँखे चुराते नजर आते हैं तो कुछ बेशर्मी की चादर ओढ़ अब भी रिश्वत खा रहे हैं। ये अलग बात है कि नींद और चैन उनकी भी आँखों से नदारद है।
सपड़ में आए भृष्ट अधिकारियों की सोच, मानों ईडी नें रही सही इज्जत,रूतबा सब कुछ छीछालेदर, मिट्टीपलिद मतलब सब गुड़गोबर कर दिया। कुल मिलाकर पगड़ी उछाल दी भायो।
छत्तीसगढ़ के थानों,निर्माण विभाग,नगर निगम,राजस्व विभाग,पीएचई विभाग,स्वास्थ्य विभाग,महिला बाल विकास विभाग,सड़क विभाग, खनिज विभाग,शिक्षा विभाग,कृषि विभाग,यानि किसी भी किस्म का,जनहित के लक्ष्य से बनाया गया कोई भी सरकारी विभाग, जनता से बिना रिश्वत लिए काम नहीं करता,फाइल आगे नहीं बढ़ाता। बड़े साहब से काम करवाना हो तो बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी और यदि छोटे साहब द्वारा मांगे जाने वाली रिश्वत की शिकायत बड़े साहब से कर दी, तो भरेंगे और बड़ी कीमत! और तो और रिश्वतखोरी को रोकने के लिए,जनता को सुखी करनें के लिए तैनात विभागों से यदि पाला पड़ा तो आप और दुखी हो जाएंगे।
हर दफ्तर में बड़े अधिकारियों के नाम पर रिश्वत लेने वाला एक झंडू बंडू चमचा होता है। जो साहब के आगे पीछे दुम हिलाता रहता है। वह आपके प्रकरण में इतनी कमी निकाल देता है कि आप खुद रिश्वत नजराना ऑफर करते हैं। वह रिश्वत से मिली रकम से अपना कमीशन काटकर बड़ी ईमानदारी से रिश्वत का रूपया अधिकारी तक पहुँचाने का काम करता है। उसके दोनों हाथ में रिश्वत रूपी लड्डू होता है।
इन मलाईदार पद में बैठे अधिकारियों को जनता के काम के एवज में, तनख्वाह से अलग, रिश्वत चाहिए,नहीं मिलने पर अधिकारी काम को नहीं करनें के कारण ऐसे ऐसे नियम कायदे बतलाते हैं कि आम जनता को लगता है कि रिश्वत देना ही ठीक है। नहीं तो समय पर काम नहीं होगा और साहब नाराज अलग होंगे!
रिश्वतखोर अधिकारियों नें रिश्वत ले लेकर रिश्वत का महल खड़ा कर लिया है और दूसरी ओर रिश्वत के मामले में ईडी नें ऐसे तमाम भृष्ट अधिकारियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है…आपने अखबारों में पढ़ा होगा,और न्यूज़ चैनलों में देखा और सुना भी होगा। सबसे पहले ये जान लें कि ईडी वाले उन अधिकारियों के गिरेबान को पकड़ते हैं जो सरकार में महत्वपूर्ण और मलाईदार पद पर बैठे हुए होते हैं और सरकार द्वारा उन्हें काम करने के एवज में अच्छी मोटी तनख्वाह और तमाम सुविधाएं दी जाती है, बावजूद इसके अनीतिपूर्वक तथा बेईमानी से धन कमाने की लालसा उन्हें भृष्ट बना देती है,जब उनके किए भ्र्ष्टाचार एक के बाद एक उजागर होने शुरू होते हैं और सुर्खियों में आ जाते हैं तब ऐसे में उन सभी भृष्ट और घोटालेबाज अधिकारियों की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ जाता है जिन्हें ईडी के छापे का डर सता रहा होता है और जो अधिकारी अभी तक उनकी लिस्ट में तो हैं किंतु ईडी के तहकीकात के दौरान पकड़े गए किसी भृष्ट अधिकारी नें उनका नाम और काला चिठ्ठा उजागर नहीं किया है वो सोच सोच कर परेशान हैं शीघ्र ही उनके यहाँ भी ईडी का छापा मारा जा सकता है ये सोच सोचकर अभी भी उनकी नींद उड़ी हुई है। ऐसे में कुछ भृष्ट महाघोटालेबाज अधिकारियों के कृष्ण मुख से ये गाना धीमे स्वर में बज रहा होता है, कि सुख के सब साथी, दुःख में ना कोय।
अंत में बस इतना कि ईडी भृष्ट रिश्वतखोर बेईमान अधिकारियों के पीछे हाथ धोकर पड़ी है और भृष्ट अधिकारी सिर पर पैर रखकर भाग रहा है लेकिन अब पछताय का होत है,
जब चिड़िया चुग गई खेत।….