सड़क निर्माण में “भ्र्ष्टाचार”,अधिकारी और ठेकेदार “मालामाल!” एपिसोड-1

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। आपने अपने शहर और आस के ग्रामीण अंचलों में अपनी यात्रा के दौरान बहुत सी नवनिर्मित सड़कों को निर्माण के कुछ महीने बाद हाल बेहाल बदहाल देखा होगा, अनेक स्थानों पर नई सड़क पर गड्ढा,तो कही दरार और कहीं कहीं तो उधड़ी हुई सड़क नजर आती होगी। कुछ लोग इसे बदहाल और खस्ता हाल सड़क और संबंधित विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों को भृष्ट कहकर सड़क को भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ा बता देते हैं। कुछ लोग इसे अधिकारियों और ठेकेदार की सांठगांठ का जीता जागता उदाहरण कहते हैं। जबकि यह जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदार द्वारा किया गया गुणवत्ताविहीन कार्य होता है। वही ऐसे मामलों में शिकायत नहीं होने से सिविल सेवा नियम के तहत जांच तक नहीं होती जिससे अधिकारी और ठेकेदार सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचाते हुए मालामाल हो जाते हैं।
फ़ाइल फ़ोटो
किसी भी नई सड़क निर्माण में दिए गए प्राक्कलन के अनुसार उसी लंबाई में पुराने डामरीकृत सतह को उखाड़ कर डब्ल्यूबीएम ग्रेड- 2 लेवलिंग कोर्स करते हुए फिर दो कोट ग्रेड-2 डब्ल्यूबीएम तथा एक कोट ग्रेड-3 डब्ल्यूबीएम का कार्य करके उसके ऊपर 5 सेंमी.मोटा बीएम एवं 2 सेंमी. मोटा एमएसएस का कार्य किया जाना होता है। लेकिन कई सड़कों की जांच में ऐसा पाया गया कि ग्रेड-2 से लेवलिंग कोर्स तथा 2 कोट ग्रेड का कार्य ही नहीं किया गया।
भृष्ट अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन ना कर उसका उलंघन कुछ इस तरह से करते हैं कि उनके द्वारा की जा रही अनियमितता पकड़ में ना आए इसलिए सड़क निर्माण के दौरान माप पुस्तिका में चढ़वाये गए मापों व देयकों में जानबूझकर कहीं पर भी कार्य का किलोमीटर अंकित नहीं किया जाता है।
बावजूद इसके ठेकेदार को अनुबंध के विरुद्ध भुगतान कर दिया जाता है मतलब ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का काम किया जाता बदले में अधिकारी को कितना कमीशन मिलता है ये तो जग जाहिर है…….
कुल मिलाकर सड़क निर्माण कार्यों में अधिकारियों द्वारा अनियमितता कर ठेकेदार को आर्थिक लाभ तथा शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाए जाने का काम किया जाता है।
फिलहाल छत्तीसगढ़ मुखिया नें प्रदेश की सभी खस्ता हाल सड़कों को दिसम्बर तक मरम्मत करनें का निर्देश दिया है।
विभागीय सूत्रधारों के अनुसार पाठकगण अब ये भी जान लें कि नवनिर्मित सड़कों का हाल बदहाल कैसे हो जाता है।
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किसी भी सड़क निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति के बाद निविदा आमंत्रित किया जाता है इसमें भी अधिकारी द्वारा अपने चहेते ठेकेदार को पर्दे के पीछे से मौका दिया जाता है,वर्क ऑर्डर जारी होते ही सांठगठिया भ्र्ष्टाचार का खेल आरंभ होता है।
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सड़क निर्माण हेतु शासन द्वारा निविदा में नियम शर्ते होती है जिसके अनुरूप जिम्मेदार अधिकारी को ठेकेदार से काम करवाना होता है और आश्चर्य की बात यह है कि जिन अधिकारियों के कंधे में गड़बड़ी रोकने की जिम्मेदारी सरकार द्वारा दी गई होती है वही अधिकारी ठेकेदार के साथ मिलकर सरकार को चूना लगाने का काम करते हैं।
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यहाँ अधिकारी सड़क निर्माण कार्य प्रावधानित निर्धारित मापदंड तथा मात्रा के अनुसार ना करवाकर कम मात्रा में कार्य करवाते हैं तथा किए गए काम से अधिक मात्रा के फर्जी माप चढ़ाकर ठेकेदार से सांठगांठ कर ठेकेदार को अनाधिकृत रूप से अधिक भुगतान करवाकर शासन को चूना लगाने का काम करते है। अर्थात शासन को लाखों रुपए की हानि पहुचाई जाती है।
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इसे ऐसा भी कहा जा सकता है कि भृष्ट अधिकारी द्वारा फर्जी भुगतान करनें के उद्देश्य से पूर्व नियोजित ढंग से योजनाबद्ध तरीके से अधिक राशि की गलत दरें लगाकर, अधिक राशि का प्राक्कलन बनाकर, फर्जी भुगतान का कार्य किया जाता है। तथा शासन को आर्थिक हानि पहुंचाई जाती है।
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किसी भी नई सड़क निर्माण में दिए गए प्राक्कलन के अनुसार उसी लंबाई में पुराने डामरीकृत सतह को उखाड़ कर डब्ल्यूबीएम ग्रेड- 2 लेवलिंग कोर्स करते हुए फिर दो कोट ग्रेड-2 डब्ल्यूबीएम तथा एक कोट ग्रेड-3 डब्ल्यूबीएम का कार्य करके उसके ऊपर 5 सेंमी.मोटा बीएम एवं 2 सेंमी. मोटा एमएसएस का कार्य किया जाना होता है। लेकिन कई सड़कों की जांच में ऐसा पाया गया कि ग्रेड-2 से लेवलिंग कोर्स तथा 2 कोट ग्रेड का कार्य ही नहीं किया गया।
भृष्ट अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन ना कर उसका उलंघन कुछ इस तरह से करते हैं कि उनके द्वारा की जा रही अनियमितता पकड़ में ना आए इसलिए सड़क निर्माण के दौरान माप पुस्तिका में चढ़वाये गए मापों व देयकों में जानबूझकर कहीं पर भी कार्य का किलोमीटर अंकित नहीं किया जाता है।
बावजूद इसके ठेकेदार को अनुबंध के विरुद्ध भुगतान कर दिया जाता है मतलब ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का काम किया जाता बदले में अधिकारी को कितना कमीशन मिलता है ये तो जग जाहिर है…….
कुल मिलाकर सड़क निर्माण कार्यों में अधिकारियों द्वारा अनियमितता कर ठेकेदार को आर्थिक लाभ तथा शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाए जाने का काम किया जाता है।
कभी कभी ऐसा भी सुनने में आता है कि अधिकारी द्वारा कार्य को मिली प्रशासकीय स्वीकृति राशि तथा तकनीकी स्वीकृति राशि के विरुद्ध अधिक राशि का कार्य करवाया जाता है जबकि पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति अप्राप्त होता है। फिर भी ठेकेदार को अतिरिक्त कार्य का भुगतान कर दिया जाता है।
ऐसा भी देखा गया है जो निर्माण विभाग नियमावली में स्पष्ट है कि कार्यपालन अभियंता को विशेष मरम्मत कार्यों की तकनीकी स्वीकृति देने का अधिकार नहीं है उन्हें अपने सक्षम अधिकारी से तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करना होता है लेकिन अधिकारी प्रशासकीय स्वीकृति को दो टुकड़ों में बांट कर निविदा जारी कर देते हैं।
विभाग का इतना बड़ा दायरा होता है जिसमें निज सचिव, स्टॉफ ऑफिसर,प्रमुख अभियंता, मुख्य अभियंता,अधीक्षण अभियंता,कार्यपालन अभियंता और अन्य संबंधित अधिकारी कर्मचारी को सरकार प्रतिमाह तनख्वाह देती है फिर सड़क निर्माण में गड़बड़ी कैसे!
क्रमशः …..