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अनुमति नहीं…फिर भी हो रहा रेत का अवैध खनन और परिवहन…खनिज निरीक्षक की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल! SDM, सीईओ,कब लेंगे संज्ञान!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। गढ़वट ग्राम पंचायत में हो रहे खारुन नदी से रेत के अवैध खनन और परिवहन का मामला अब खनिज अधिकारियों की उदासीनता के चलते तूल पकड़ने लगा है।

जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत में निर्माण कार्य किया जाना है जिसके लिए रेत की आवश्यकता है दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी निर्माण कार्य के लिए स्टीमेट बनाया जाता है जिससे रेत, गिट्टी, छड़, सीमेंट सहित मजदूरी तक की राशि जुड़ी होती है ऐसे में रेत का अवैध खनन कर पंचायत प्रतिनिधि भृष्टाचार कर रहे हैं।

दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि खनिज विभाग के अधिकारियों के संरक्षण के चलते एक बार फिर रेत अवैध खनन का मामला गढ़वट पंचायत से सामने आया है। शिकायत के बाद भी खनिज निरीक्षक राहुल गुलाटी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। पता नहीं उन्हें किस बात का इंतजार है या डर!

ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत गढ़वट से होकर निकलने वाली खारुन नदी के सरवन दहरा से महिला सरपंच पति,उप सरपंच और सचिव द्वारा रेत का अवैध खनन और परिवहन किया जा रहा है पूछने पर खनिज विभाग को पत्र लिखा जाना बलतलाते हैं। अब कलेक्टर से बात करवाने की बात कह रहे हैं।

ग्रामीणों का आरोप है कि खनिज अधिकारी को मालूम है कि आवेदन दिया गया है लेकिन अनुमति नहीं मिली है ऐसे में उन्हें नियमानुसार कार्यवाही करनी चाहिए। लेकिन कर नहीं रहे हैं। पता नहीं उन्हें किस बात का डर है। तो देखा आपने खनिज विभाग के तीन जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति कितने उदासीन हैं। पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारियों की उदासीनता भी साफ दिखाई दे रही है।

कल बुधवार को ग्रामीणों नें रेत चोरों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए खनिज विभाग के अधिकारियों को फोन पर सूचना दी और खनिज विभाग के कर्मचारियों ने मौके से तीन ट्रेक्टर को थाने में खड़ा कर दिया। बीते रविवार को भी दो ट्रेक्टर थाने में लाया गया था किंतु आज दिनाँक तक खनिज विभाग द्वारा नियमानुसार कोई कार्यवाही नहीं किए जाने से ग्रामीणों आक्रोशित हैं।

खनिज अधिकारी भी मान रहे हैं कि अभी ग्राम पंचायत को कोई अनुमति नहीं मिली है,ग्राम पंचायत के सचिव नें भी बताया कि सहायक खनिज अधिकारी को प्रस्ताव देकर आए हैं और उसी आधार पर रेत का खनन किया जा रहा है। लिखित अनुमति नहीं है।

बहरहाल खनिज संपदा को बचाने की जिम्मेदारी हम सब की है किंतु शासन नें विभागवार मयवेतन अधिकारियों कर्मचारियों की नियुक्ति की ताकि वो ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन करें किन्तु इस मामले नें एक बार फिर शासन प्रशासन के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किया है, जरूरत है ऐसे लापरवाह अधिकारियों पर नकेल कसने की ताकि भविष्य में खनिज संपदा का अवैध खनन परिवहन पर रोक लगे ग्रामीणों की जागरूकता को बल मिले,खनिज नियमों की अनदेखी कर रेत की चोरी करने वालों को सजा मिले और सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी हो।

एक सवाल:- जब किसी भी शासकीय निर्माण कार्य को मंजूरी मिलती है तो सभी मटेरियल का लागत मूल्य को जोड़कर स्वीकृति प्रदान किया जाता है तो फिर ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि रेत के मूल्य निर्माण कार्य के स्टीमेट में जुड़े होने के बाद भी रेत के अवैध खनन और परिवहन के लिए इतने उतावले क्यों हैं?

खनिज निरीक्षक अवैध रेत खनन और परिवहन पर कार्यवाही करने घबरा क्यों रहे हैं?

जनपद सीईओ को भी मामले को संज्ञान में लेना चाहिए वह भी तमाशा देख रहे हैं क्यों?

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