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“जांच” के नाम से, अब डर लगता है साहेब! बहरहाल जांच अभी जारी है….

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। आज से 15 से 20 बरस पहले जब किसी भी मामले में जांच बैठा करती थी तो उसकी आंच से महकमे में हड़कंप मच जाया करता था। महकमे में कानाफूसी होने लगती थी। मामला चाहे भृष्टाचार,दुर्व्यवहार, छेड़छाड़ का हो या फिर गबन या,आय से अधिक संपत्ति का सभी की निगाहें जाँच पर टिकी होती थी।

किन्तु समय के साथ धीरे धीरे जांच के मायने बदलते जा रहे हैं पहले लिखित शिकायत और वह भी गंभीर होने पर अधिकारी/कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया जाता था और फिर निष्पक्ष जांच होती थी,अब जांच एक अनिश्चित कालीन अवधि की कागजी फॉर्मेलिटीज बनकर रह गई है। जिसकी फाइल भी स्वच्छ भारत मिशन की टोकरी में धूल खाते पड़ी होती है।

कलेक्टर या विभाग प्रमुख की कार्यालय में की गई शिकायत का आरोपित अपने विभाग में बेखौफ काम करता है उसे ना तो शिकायत की चिंता होती है ना कार्यवाही का डर और ना ही जांच में दोष सिद्ध होने पर,नौकरी जाने का खतरा महसूस होता है।

प्रशासन स्तर पर ऐसे सैकड़ों गंभीर मामले जिनकी शिकायत जांच आज भी लंबित हैं जिनका परिणाम जाने कब सामने आएगा कहा नहीं जा सकता,अनिश्चितता के इस दौर में शामिल लोगों का कहना है कि “जांच” के नाम से, अब डर लगता है साहेब!

शिकायतकर्ता की शिकायत पर यदि जांच होती भी है तो आरोपी पर लगाए गए आरोप,साक्ष्य रूपी दस्तावेज, आरोपी को बचाने के लिए ब्रम्हास्त्र के रूप में प्रयोग किया जाने लगा है।अब तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत चरितार्थ होने लगी है।

कार्यवाही करनें का दबाव बनने पर छोटे कर्मचारी को मोहरा बना कर सस्पेंड कर दिया जाता है जिम्मेदार गुनहगार को प्रमोशन देकर पीठ थपथपा जाता है। शिकायतकर्ता खुद को ठगा महसूस करता है।

भृष्टाचार का जन्म ऐसे होता है कि जब किसी कार्य को जानबूझकर नियम विरुद्ध रोक दिया जाता है तब परेशान व्यक्ति अपना कार्य कराने के लिए अनुचित रूप से धन,घूस या रिश्वत के रूप में देता है तब कहीं जाकर उसका काम होता है,इस तरह भ्र्ष्टाचार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

कमीशनखोर अधिकारी कर्मचारियों के लिए कमीशन, मिशन बन गया है, चाहे जो हो कमीशन चाहिए बिना कमीशन दिए किसी भी काम का “बिल” पास नहीं होता। या फाइल आगे नहीं बढ़ता। आप चाहे जहां शिकायत कर लो। जांच होगी तब ना!

अनेक अधिकारी कर्मचारियों पर एन्टी करप्शन ब्यूरो की जांच चल रही है जांच की सुनवाई जारी है मामला लंबित है बावजूद इसके अधिकारी कर्मचारी अपने अपने विभाग में काम कर रहे हैं। उनके चेहरे पर एक शिकन भी नहीं है।

बहरहाल जाँच अभी जारी है…..

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