गरीब हितग्राहियों के हक पर डाका…तीन का महीने राशन डकार गया विक्रेता… सरपंच, सचिव भी संदेह के दायरे में… आरोप पत्र दाखिल होने पर हो सकता है एफआईआर!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। बिलासपुर जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत गरीबों को कम कीमत पर राशन उपलब्ध कराने की योजना किस तरह फेलियर साबित हो रही है इसकी बानगी देखने को तब मिली जब बिल्हा विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत खैरखुँडी में संचालित सरकारी राशन दुकान के दुकानदार द्वारा हितग्राहियों को दो महीने तक राशन नहीं मिलने की शिकायत कलेक्टर बिलासपुर से हितग्राहियों नें लिखित में देकर निष्पक्ष जांच की मांग की,और आज जांच में पहुँचे अधिकारियों की टीम नें हितग्राहियों से और दुकान में रखे स्टाक का मिलान किया तो चौकाने वाले खुलासे हुए।
मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना अंतर्गत मई और जून महीने का राशन हितग्राहियों को मुफ्त देने की घोषणा सरकार की ओर से की गई थी किन्तु 325 गरीब हितग्राहियों को खैरखुँडी के राशन दुकान के दुकानदार(विक्रेता) राकेश भारद्वाज नें ना केवल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना अंतर्गत दो माह का राशन नहीं दिया वरन रेगुलर मिलने वाले जून माह का राशन भी नहीं दिया।
आपको बता दें कि ग्राम पंचायत खैरखुँडी में महिला सरपंच छन्नी बाई गोंड़ हैं तो वहीं सचिव के रूप में दिलेश्वर बंजारे पदस्थ है। ग्राम पंचायत के लोगों नें इस महिला को अपना वोट देकर सरपंच इसलिए बनाया था कि वह शासन की तमाम योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करेगी, दूसरी तरफ शासन द्वारा नियुक्त सचिव की जिम्मेवारी है कि ग्राम पंचायत के ग्रामीणों को शासन की योजना का लाभ दिलाए लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि तीनों नें मिलकर उनके हक पर डाका डाला उन्हें तीन महीने का राशन नहीं दिया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चांवल 139.53 क्विंटल.शक्कर 2.71 क्विंटल.
नमक. 2.71. क्विंटल स्टाक में नहीं पाया गया।
कुल मिलाकर गरीबों के हक का राशन उक्त दुकानदार ने बेच दिया और उसे इस बात का तनिक भी भय नहीं कि शिकायत होने पर जांच होगी और इस कालाबाजारी का खुलासा हो सकता है। इससे इस पूरे मामले में मिलीभगत की आशंका को बल मिलता है।
बहरहाल शिकायत की जांच पूरी हो गई है और सोमवार को जांच रिपोर्ट बिल्हा एसडीएम कार्यालय में सौंप दी जाएगी लेकिन एक सवाल बार बार सामने आता है कि जिला खाद्य नियंत्रक,खाद्य निरीक्षक,एसडीएम, ग्राम पंचायत सचिव, और ग्रामीणों की जनप्रतिनिधि सरपंच के होते हुए भी ग्रामीणों को अपनी शिकायत लेकर कलेक्टर के पास जाना पड़ा, क्यो! कहीं कलेक्टर का प्रबंधन कमजोर तो नहीं या फिर उपरोक्त अधिकारी कर्मचारी ही शासन के दिशा निर्देश का पालन करने में कोताही बरत रहे!
फिलहाल गरीबों के हक पर डाका डाला गया था ये तो साबित हो गया अब आगे की कार्यवाही कछुए की चाल से ना हो और दोषियों पर नियमानुसार कार्यवाही हो,गरीबों के हक का राशन उन्हें शीघ्रता शीघ्र मिले तब हितग्राहियों को न्याय मिलेगा ऐसा ग्रामीणों का कहना है।