बिलासपुर

खनिज विभाग के अधिकारियों की करतूतों की पोल खोलता ट्रेक्टर खनिज परिवहन संघ का पत्र!

खासखबर खबर छत्तीसगढ़। ट्रेक्टर खनिज परिवहन संघ नें कलेक्टर को एक पांच बिंदुओं पर ज्ञापन सौंप कर रेत घाट स्वीकृत किए जाने की मांग की है। उनका मानना है कि ट्रेक्टर संघ के पांच हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं। साथ ही साथ उन्होंने पांच बिंदुओं में अपनी मांग रखते हुए खनिज और पुलिस विभाग की पोल खोल कर रख दी है।

उन्होंने अपनें पहले बिंदु पर लिखा है कि

1. वैध घाट पर रेत नहीं है, जहां पर रेत है वह घाट अवैध है, जैसे- कछार, लोफंदी इस घाट को वैध करें जिससे सरकंडा क्षेत्र के नागरिकों को आसानी एवं रियायत दर पर रेत उपलब्ध हो सके, उस घाट पर रेत रायल्टी पर्ची अनिवार्य किया जाए। ताकि हम वहां से रेत का परिवहन आसानी से कर सकें।

उपरोक्त लेख से ज्ञात होता है कि जब वैध (पंजीकृत) घाट पर रेत ही नहीं तो अब तक जो रेत निकल रही है वह अवैध है! खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल सीमांकन कर सत्यता की जांच करनी चाहिए। और उच्च अधिकारियों को अवैध रूप से संचालित हो रहे रेत घाटों का मय नक्शा खसरा व दस्तावेज का मौके पर निरीक्षण किया जाना चाहिए।

2. ट्रेक्टर संघ सभी पदाधिकारियों व सदस्यों के परिवारों का भरण-पोषण का एकमात्र जरिया ट्रेक्टर से परिवहन ही है इसके अलावा हमारी आजीविका के लिए अन्य कोई साधन नहीं है। कम से कम 5 हजार लोगों का परिवार इस व्यवसाय से प्रत्यक्ष रूप से चल रहा है, जो पूर्णत: बंद हो गया। रेत नहीं मिलने से शहर एवं आसपास के निर्माण कार्य भी प्रभावित है जिससे हजारों की संख्या में मजदूर बेकार बैठे हैं उन्हें अपने आजीविका के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

उपरोक्त कथन मुख्यमंत्री और सचिव के निर्देश जारी किए जाने के बाद के हैं तब बड़े रेत चोरों की बजाय खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने इन छोटे छोटे ट्रेक्टर को टारगेट बना कर अपने उच्च अधिकारियों की नजर में अपने नम्बर बढ़ाए मीडिया में सुर्खियां बटोरी।

3. हम ट्रेक्टर वालों के लिए एक अलग से एक घाट स्वीकृत कराने हेतु अनुशंसा करने की कृपा करें।

उपरोक्त कथन से साफ है कि बड़े रेत चोर इन्हें बगैर रायल्टी पर्ची के रेत बेचते हैं किंतु विभाग की कार्यवाही करने पर इन्हें रॉयल्टी पर्ची नहीं होने पर हजारों रुपए की पेनाल्टी भरनी पड़ती है। खनिज अधिकारी इनकी एक नहीं सुनते। जिन्होंने इन्हें रेत बेचा उन्हें खनिज अधिकारी उन पर भी कार्यवाही करने की बजाय उन्हें साफ तौर से अनदेखा कर देते हैं।

4. हम ट्रेक्टर वालों को सभी प्रकार के शासकीय अमला हमेशा परेशान करते रहते हैं जैसे पुलिस थाना, यातायात पुलिस, खनिज विभाग, परिवहन विभाग मुख्य रूप से हैं।

उपरोक्त कथन से साफ होता है कि पुलिस, यातायात पुलिस,परिवहन और खनिज विभाग के अधिकारी इन्हें परेशान करते हैं। अब कैसे परेशान करते हैं आप समझ सकते हैं।

5. हम सभी ट्रेक्टर वाले मुख्य रूप से अपनी गाड़ी बैंक से फायनेंस कराकर लिए हैं या फिर किसी न किसी रूप में उधारी है, यदि गाड़ी पकड़ाती है तो खनिज विभाग उसमें 10000/ से 15000/- रुपये तक जुर्माना लगाती हैं। गाड़ी को पकड़कर जहां पर भी शासकीय अधिकारी-कर्मचारी रखते हैं उसकी देखभाल करने वाले की भी नियुक्ति नहीं करते हैं जिससे आए दिन गाड़ियों के सामान भी चोरी होने की संभावना रहती है।

उपरोक्त कथन से ट्रेक्टर संघ वालों की पीड़ा साफ नजर आती है कि थाना,या फिर जांच चौकी में खड़े जब्त वाहनों से सामान चोरी होते हैं मतलब पेनॉल्टी तो भरनी पड़ती है साथ ही गाड़ियों के समान की भी चोरी की जाती है। मतलब जबड़ा मारे रोवन ना दे वाली कहावत चरितार्थ होती है।

बहरहाल खनिज, पुलिस, परिवहन विभाग की करतूतों की पोल तो ट्रेक्टर संघ नें अपने मांग पत्र के माध्यम से खोल कर रख दी है जरूरत है उपरोक्त सभी विभागों के तमाम जिम्मेदार अधिकारी (सचिव खनिज साधन विभाग)को मामले को संज्ञान में लेते हुए तत्काल जांच किए जाने की जरूरत है ताकि सच सामने आए और दोषियों पर कार्यवाही हो।

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