खनिज अधिकारियों के संरक्षण में,खनिज जाँच चौकी से सालाना 75 लाख रुपए की हो रही उगाही! उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच से होगा सनसनीखेज खुलासा! (देखिए वीडियो)

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। राज्य सरकार नें निकाले गए खनिजों के अवैध परिवहन को रोकने खनिज जांच नाका की स्थापना की है और इसका प्रकाशन गजट में भी करवाया गया। खनिज विभाग के अधिकारी डॉ दिनेश मिश्रा के द्वारा जिले के खनिज जांच चौकी कोनी, सकरी,मस्तूरी का प्रभारी खनिज निरीक्षक राहुल गुलाटी को बनाया गया है और अवैध परिवहन रोकने कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई है। जो खनिज ढोने वाले सभी वाहन में लाए गए खनिज की मात्रा और गुणवत्ता का सत्यापन और अभिवहन पास की जांच कर रजिस्टर में दर्ज करता है। उसके बाद वाहन चालक वाहन लेकर आगे रवाना होता है।
किंतु आश्चर्य की बात है कि सकरी और कोनी खनिज जांच नाका में बैठे शासकीय कर्मचारी यहां खनिज ढोने वाले वाहन चालकों से 20-20 रुपए प्रति वाहन अवैध उगाही करते है। जबकि नियमानुसार उसे दस्तावेज का अवलोकन और खनिज की गुणवत्ता की जांच मात्रा का अनुमान करने का अधिकार है।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां खनिज जांच नाका में बैठा कर्मचारी 10 में से एक ही गाड़ी का विवरण अपने रजिस्टर में अंकित करता है बाकी गाड़ियों के दस्तावेज में सील लगाकर वापस कर देता है। जबकि उसे सभी खनिज संपदा परिवहनकर्ता वाहनों के डिटेल नोट करना चाहिए। ये जांच का विषय है।
भेद खुलते ही चौकी छोड़ भाग निकला कर्मचारी!
यहां खुलेआम 20-20 रुपए प्रत्येक वाहन चालकों से वसूल रहे कर्मचारी ने स्वयं बताया कि प्रतिदिन 5 से 7 हजार रुपए की उगाही होती है। याने 300 से 350 वाहन प्रतिदिन जांच चौकी से गुजरते हैं। इसका मतलब 2 लाख 10 रुपए महीने का और साल भर में 25 लाख 20 हजार रुपए की उगाही की जाती है। ये भी जांच का विषय है।
सवाल यह कि खनिज विभाग के खनिज निरीक्षक राहुल गुलाटी के होते हुए कर्मचारियों द्वारा किसके कहने पर अवैध रूप से वाहन चालकों से 20-20 रुपए उगाही की जा रही है। ऑफिस इंचार्ज डॉ दिनेश मिश्रा उपरोक्त मामले में कोई कड़ा कदम क्यों नहीं उठा रहे हैं! मीडिया में खबरें प्रकाशित होने के बाद भी खनिज जांच चौकियों में 20-20 रुपए की उगाही बदस्तूर जारी है जो अधिकारियों के संरक्षण की ओर इशारा करता है।
कोनी खनिज जाँच नाका की तस्वीर
कर्मचारी नें बताया कि इस वसूल किए गए रुपए से खनिज जांच नाका का बिजली बिल पटाया जाता है,टेम्परेरी कनेक्शन होने की वजह से बिल 6 से 10 हजार रुपए आता है, खनिज चौकी का मेंटेनेंस किया जाता है और स्टाफ के भोजन की व्यवस्था की जाती है।
जबकि खनिज अधिकारी कहते हैं कि जाँच चौकी की समस्त खर्च विभाग उठाता है। ऐसे में ये भी जांच का विषय है कि वसूली गई लाखों रुपए जाते कहाँ हैं और खनिज विभाग के अधिकारी इतना सब कुछ होने पर भी चुप क्यों हैं।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यहां से बिना अभिवहन पास के भी कोयला, गिट्टी, रेत से भरे वाहनों को रुपए लेकर छोड़ा जा रहा होगा! शासन को चाहिए कि उक्त मामले को संज्ञान में लेते हुए उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया जाना चाहिए।
वाहन का खलासी चीख चीख कर खासखबर की टीम को बता रहा है कि वह पिछले सात साल से इन जांच चौकियों में बैठे लोग सील लगाने के एवज में 20 रुपए लेते हैं। आप लोगों के सामने ही लिया गया है। (देखिए वीडियो)
बहरहाल खनिज विभाग के अधिकारी और खनिज निरीक्षक और जांच नाका के कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध मालूम होती है शासन को इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए ताकि अवैध उगाही और परिवहन से शासन की धूमिल हो रही क्षवि पर रोक लगे और राजस्व के नुकसान की भरपाई की जा सके!!!