खाद्य निरीक्षकों पर उगाही का गंभीर आरोप…क्यों,जांच के नाम पर टालमटोल कर रहे प्रभारी खाद्य नियंत्रक!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। बिलासपुर न्यायाधानी में बिलासपुर कलेक्टर कार्यालय के ठीक पीछे स्थित खाद्य विभाग में पदस्थ खाद्य निरीकक्षकों द्वारा अपने अपने क्षेत्रों में संचालित पीडीएस दुकानदारों से बेखौफ होकर रूपयों की उगाही करनें की गंभीर शिकायत सामने आने से हड़कंप मच गया था।
मामले को मस्तूरी के जनप्रतिनिधियों द्वारा कलेक्टर बिलासपुर के सामने उठाया गया था,किंतु आज दिनांक तक उच्च अधिकारियों की उदासीनता के कारण समुचित कार्यवाही नहीं होने से आरोपियों के हौसले बुलंद हैं।
इतने गंभीर आरोप के बाद भी जिले में पदस्थ खाद्य विभाग के प्रभारी खाद्य नियंत्रक राजेश शर्मा बेबाकी के साथ कहते हैं कि जनप्रतिनिधियों की ओर से शिकायत मिली है और मिलती रहती है, राशन दुकान संचालकों नें हमारे पास अब तक कोई शिकायत नहीं कि है जब तक दुकान संचालक अपने बयान में इस बात की तस्दीक नहीं कर देते हैं तब तक कैसे मान लें कि आरोप सही है। मतलब ये कि प्रभारी खाद्य नियंत्रक भी खाद्य निरीक्षकों को संरक्षण दे रहे हैं अब ये कैसे संभव है कि खाद्य निरीक्षकों को बिना वहां से हटाए,पीडीएस दुकान संचालक अपना बयान दें,यानी पानी में रहकर मगर (खाद्य निरीक्षक) से बैर करेंगें!
मामला कुछ इस तरह का है कि मस्तूरी में पीडीएस के तहत संचालित राशन दुकान के दुकानदारों से खाद्य निरीकक्षकों द्वारा भयादोहन कर अवैध वसूली का आरोप लग रहा है यह पूरा मामला मस्तूरी ब्लाक अंतर्गत मस्तूरी और सीपत क्षेत्र का सामने आया है जहां मंगलवार को जनदर्शन के दौरान जनप्रतिनिधियों ने जिला कलेक्टर को वहां पदस्थ खाद्य निरीक्षको के खिलाफ उचित कार्रवाई करने आग्रह कर ज्ञापन सौंपा।
शिकायत लेकर पहुंचे क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों नें खाद्य निरीक्षक आशिष दीवान और प्रीति चौबे पर आरोप लगाया कि ये क्षेत्र के प्रत्येक राशन दुकानों से प्रतिमाह 1100 रुपए वसूल करते है। इसके अलावा होली दीपावली में इनको अलग से चढ़ोत्तरी की उम्मीद होती है…! राशन दुकान संचालको के अनुसार निरीक्षक आशिष दीवान और प्रीति चौबे का पेट तो कभी भरता ही नही है। अवैध वसूली से मन नही भरता तो वह कभी भी दुकान जांच के नाम पर पहुँच जाते है। जहाँ कार्यवाही का ख़ौफ़ दिखाकर उनसे मोटी रकम वसूल करते है।
ज्ञापन देने पहुँचे शिकायतकर्ता ने बताया कि खाद्य निरीक्षक आशिष दीवान अपनी प्रशासनिक पहुंच और मंत्रालय में पहचान का धौस दिखाकर राशन दुकान संचालकोंं से अवैध रूप सेे उगाही करते हैं यही नहीं उनके द्वारा यह खुला चैलेंज राशन दुकान संचालकों को दिया गया है अगर उनमें दम हो तो वह उनके खिलाफ कार्यवाही करवा कर दिखाएं।
खाद्य निरीकक्षको पर लगे अवैध वसूली के आरोप के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि खाद्य विभाग के आला अफसरों के नाक के नीचे महीनों से मस्तूरी और सीपत क्षेत्र में अवैध उगाही का खेल चलता रहा! कही इस मामले में नौकरशाही की सहभागिता तो नही है!
बहरहाल लोकतंत्र में न्याय की गुहार का लगाया जाना अपने आप में सरकार और तंत्र को कटघरे में ला खड़ा करता है। शिकायत बाद जांच और जांच को अंजाम तक पहुंचाने का काम शासन और प्रशासन में बैठे तमाम जिम्मेदार अधिकारियों का है इसलिए जांच होगी या नहीं अभी यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है।