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“चावल से भरे” फटे, सड़े,गले बारदानों का रहस्य…जिम्मेदार कौन!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। ये तस्वीर छत्तीसगढ़ में संचालित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के उचित मूल्य की दुकान की है जहां नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली के तहत सब्सिडी दरों पर गरीबों को खाद्य और मुख्य अनाज जैसे कि गेहूं, चावल, चीनी और आवश्यक ईंधन जैसे केरोसीन शामिल है प्रदान किया जाता है। राज्य में उचित मूल्य की दुकानों को राशन की दुकानों के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय खाद्य निगम, सरकारी स्वामित्व वाली निगम, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की खरीदी और रखरखाव करता है।

तस्वीरों में फटे हुए बारदानें की तस्वीरों को देखकर आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि गरीबों को सब्सिडी में दिए जाने वाले चांवल से भरे बारदाने की व्यवस्था ठीक नहीं है। इन सब के लिए जिम्मेदार कौन!

चांवल की क्वॉलिटी का परीक्षण करने निगम में क़्वालिटी इंस्पेक्टर होता है जो मिलरों से आए चांवल का परीक्षण करता है लेकिन बारदाने का क्या!

इस काम के लिए अच्छी खासी तनख्वाह सरकार से मिलती है किंतु चावल भरे फटे,सड़े, और गले बारदाने पर नजर क्यों नहीं पड़ती! ऐसी ही व्यवस्था पर सवाल खड़े हो जाते हैं कि जिम्मेदार कौन!

बारदाने का सफर

बारदाने का सफर शुरू होता है शासन स्तर पर प्रतिवर्ष समर्थन मूल्य पर धान खरीदी हेतु नए बारदाने खरीदे जाते हैं। बारदाने के एक गठान में 500 बारदाने होते हैं और बिलासपुर जिले में वर्ष 2020-21 में 1220 गठान बारदाने क्रय किए गए थे। दूसरी ओर मिलरों,पीडीएस,समितियों और किसानों से भी बारदाने खरीदे गए। कुल मिलाकर 9,16,161 बारदाने खरीदे गए। नए बारदाना की कीमत 20.50 पैसे तो वही पुराने बारदाना 15 रुपए में खरीदे गए।

धान से चावल बनने बारदाने का सफर

बारदाना धान खरीदी केंद्र से होते हुए धान संग्रहण केंद्र यहाँ से बारदाने में भरा धान राइस मिलर के पास और फिर चावल बनकर एफसीआई और एफसीआई से नागरिक आपूर्ति निगम और फिर यहां से उचित मूल्य की दुकान तक इस बीच इस बारदाने के रूप में इतना बदलाव कैसे! जिम्मेदार कौन!

जब शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी प्रारंभ किया जाता है तब जिले के कलेक्टर, सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति धान खरीदी केंद्र में होती है ऐसे समय धान से भरे बारदाने बिल्कुल नये होते हैं ताकि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के द्वारा उद्घाटन समारोह की तस्वीर साफ सुथरी नजर आती है किंतु जब यही धान मिलर एफसीआई और नान से उचित मूल्य की दुकानों में भेजा जाता है तो बारदानों की तसवीर बदल जाती है सड़े गले,फटे बारदाने से गिरता चावल अपने आप में व्यवस्था और उसे चलाने वालों पर सवाल खड़े करता नजर आता है कि जिम्मेदार कौन!

फिलहाल खाद्य मंत्री और उनकी टीम को चाहिये कि उपरोक्त मामले को संज्ञान में लेते हुए इस बात की सूक्ष्मता से जांच करवाएं की आखिरकार फटे, सड़े गले बारदानों का रहस्य क्या है और इसके लिए जिम्मेदार कौन!

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