बिलासपुर

राजस्व विभाग का कारनामा… बटोर रहा सुर्खियां…

खासखबर खबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। इन दिनों सर्वाधिक सुर्खियों में पहले नम्बर के पायदान पर बना हुआ है तो वह है राजस्व विभाग और उसके अधिकारी कर्मचारी और हो भी क्यों ना, एक से बढ़कर एक घोटाले उजागर जो हो रहे हैं। कहीं तालाब और बंधिया के जाली दस्तावेज पेश कर जमीन खरीदने और बेचने का मामला उजागर हो रहा है तो कहीं राजस्व अधिकारी आमोद प्रमोद की शासकीय भूमि का डायवर्सन कर दे रहे हैं। लेकिन जांच के नाम पर सबको साँप सूँघ गया है।

एक अधिवक्ता नें तो भू अभिलेख शाखा कलेक्टोरेट और पंजीयन कार्यालय के इन्डेक्स व ग्रंथ में कूट रचना की लिखित शिकायत राजस्व प्रमुख से करते हुए जांच की मांग कर दी है। जिसके चलते राजस्व महकमे में हड़कंप मच गया है। अब दूर दराज में बैठे अधिकारियों द्वारा भगवान के मंदिर में मत्था टेका जा रहा है।

सूत्रों की माने तो एक जमीन के मामले में प्रकरण की सुनवाई के बाद अधिकारी ने मामले को इसलिए खारिज कर दिया कि प्रकरण में सबूत के रूप में पेश किया गया दस्तावेज फोटोकॉपी के रूप में था। सूत्र बताते हैं कि यदि राजस्व अधिकारी ओरिजिनल दस्तावेज पेश करने को कहते तो जाली दस्तावेज का भंडाफोड़ हो सकता था। परंतु समय रहते अधिकारी ने अपनी कलम बचा ली।

सूत्र बताते हैं कि एक शासकीय भूमि का नामांतरण किया जा रहा था। एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराया कि उपरोक्त भूमि शासकीय है और उस भूमि का जाली दस्तावेज के आधार पर अमुक व्यक्ति के नाम पर चढ़ाया जा रहा है दूसरी ओर एक आपत्तिकर्ता का मुंह बंद करने के लिए उसे सहमति कर्ता बना कर उसे बाकायदा लाखों रुपए का चेक के माध्यम से पेमेंट किया गया उपरोक्त बातों का रजिस्ट्री पेपर में उल्लेख भी किया गया। जबकि स्पस्ट निर्देश है कि क्रेता और विक्रेता के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति से लेनदेन नहीं किया जाएगा। यदि आपत्तिकर्ता को सहमतिकर्ता बना कर प्लाट और रकम दिया जा रहा है तो मतलब दाल में कुछ काला नहीं पूरी की पूरी दाल ही काली है।

वैसे तो राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के शिकायत के दर्जनों मामले कलेक्टर के यहां धूल खाते पेंडिंग पड़े हैं उस पर सुनवाई करने वाला कोई नहीं।

अंतिम में एक महत्वपूर्ण बात यह कि एक बार बहुत पहले राजस्व विभाग के मंत्री जी ने मीडिया के द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दिया था कि अधिकारी यदि प्रकरण की फाइल घर ले जाकर काम करते हैं तो उसमें बुराई क्या है,मैं भी करता हूँ। मंत्री जी अब बहुत से प्रकरणों की फाइल कार्यालय में मिल नहीं रही है आवेदन लगा कर पक्षकार और अधिवक्ता परेशान हैं उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button