बशीर अहमद अपार्टमेंट में बहुत बड़ा झोल…रहवासियों का आरोप…सीढ़ियों पर ताला पार्किंग हुई गोल!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। बशीर अहमद अपार्टमेंट जो सीएमडी कॉलेज के पास लिंक रोड पर स्थित है, यहां के रहवासियों को बिल्डर बनाम मालिक द्वारा की जा रही धोखाधड़ी की वजह से कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
रहवासियों का कहना है कि बशीर अहमद अपार्टमेंट तीन मंजिला है जिसमें कुल 14 फ्लैट हैं नीचे ग्राउंड फ्लोर पर बहुत सी व्यवसायिक दुकानें स्थापित है।
समस्या 1
रहवासियों का कहना है कि बशीर अहमद अपार्टमेंट में उन्होंने अपनी खून पसीने की गाढ़ी कमाई से जब फ्लैट का सौदा किया था तब बिल्डर नसीर अहमद ने जो कागज़ी दस्तावेज दिखलाए थे उस समय नक्शे पर खरीददार के आवागमन हेतु सीढ़ियों और वाहन रखने की जगह यानि पार्किंग स्थल चिन्हांकित थे।
जबकि वर्तमान में बशीर अहमद अपार्टमेंट से जुड़ा हुआ गीतांजली अपार्टमेंट जो कि 1999 में निर्मित हुआ है की सीढ़ियों से आना जाना पड़ता है क्योंकि नसीर अहमद ने बिना किसी जानकारी और वैकल्पिक व्यवस्था के आवागमन वाली सीढ़ी बंद कर शटर लगा दिया है।
रहवासी मतीन अहमद नगरवाला का कहना है कि अपार्टमेंट के बिल्डर ने नियमितीकरण के दौरान अपार्टमेंट के नक्शे में बदलाव किया है और चिन्हित पार्किंग स्थल को बेच दिया है। आवागमन हेतु बनी सीढ़ियों पर शटर लगा कर बंद कर दिया गया है जिस वजह से रहवासियों को अनेक कठनाईयों का सामना करना पड़ता है। यह नियम विरुद्ध है।
इस धोखाधड़ी की शिकायत रहवासी श्री अब्दुल कादिर खान ने नगर निगम, नगर तथा ग्राम निवेश के दफ्तर में की थी किन्तु महीनों बाद कोई सुनवाई नहीं होने पर इस बात की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में की गई।
रहवासियों ने उक्त दोनों दफ्तरों के जिम्मेदार अधिकारियों से जांच कर न्याय दिलाने की गुहार लगाई थी किन्तु कोई कार्यवाही शुरू नहीं हुई।
कुछ समय बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से नगर निगम को भेजी गई शिकायत की जांच कर समस्या का निराकरण किए जाने का निर्देश प्राप्त हुआ।
प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर हड़बड़ाए निगम आयुक्त ने जांच हेतु टीम भेजा। किन्तु भेजे गए जांच दल द्वारा मौका मुआयना के बाद भी रहवासियों को ना तो आवागमन हेतु सीढ़ी मिली ना ही वाहनों को पार्किंग किए जाने की जगह मिल सकी।
रहवासियों का आरोप है कि अपार्टमेंट के बिल्डर नसीर अहमद द्वारा नियमितीकरण की आड़ में अपार्टमेंट के पूर्व नक्शे में लगातार बदलाव किया गया है जो नियमानुसार गलत है वहीं नियमतिकरण के आवेदन पर जिम्मेदार अधिकारियों ने बिना मौका मुआयना किए ही नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण कर दी। ऐसा लगता है कि इस गड़बड़ी में निगम और नगर तथा ग्राम निवेश दोनों विभाग के अधिकारी शामिल हैं।
बहरहाल बिल्डर की मनमानी और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण रहवासियों को कब तक उनका हक मिलेगा यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है किंतु अपार्टमेंट के दस्तावेजों की सूक्ष्मता और निष्पक्षता से जांच की जाए तो मुमकिन है रहवासियों को राहत मिलेगी!
क्रमशः …..