एक बेटे और शिक्षाविद नें प्रशासन को पत्र लिखकर मांगी अनुमति…

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। मां की कोरोना से हुई मौत और खुद भी कोरोना से संक्रमित बेटे का मां के अंतिम संस्कार की रस्म अदायगी का ना होनें से व्यथित एक बेटे नें प्रशासन को पत्र लिखकर गुहार लगाई है कि ऐसे तमाम लोग जिनकी मौत कोरोना से हुई है और प्रशासन द्वारा दाह संस्कार किए जाने के बाद भी उनकी अस्थियों को लेने उनका अपना कोई नहीं आया। ऐसे मृतकों की अस्थियां उन्हें सौप दी जाय ताकि वो उन मृतकों की अस्थियों को हिंदू रीति रिवाज से गंगा में विसर्जित कर मृतकों की आत्मा को मोक्ष दिलाने का कार्य कर सकें।
मुकेश मिश्रा सहायक विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी बिल्हा बिलासपुर अपनी पीड़ा कुछ इस तरह बतलाते हैं मेरी माता जी का निधन कोरोना से हुआ. उस दौरान मै और मेरे परिवार के अन्य सदस्य भी कोरोना पीड़ित हुए। माताजी के निधन के समय मैं कोरोना का उपचार हेतु अस्पताल में एडमिट था इसलिए अपनी माताजी के अंतिम संस्कार में सम्मिलित नहीं हो पाया. मुझे बहुत दुख होता है क्योंकि इस कोरोना काल में बहुत से लोगों की मौत कोरोना से हुई और जिनका पिंडदान भी नहीं हो पाया. माताजी का पार्थिव देह अस्पताल से सीधे मुक्तिधाम ले जाया गया उनका मानना है कि हिंदू रीति रिवाज के तहत अंतिम यात्रा के दौरान कम से कम 4 पिंडदान मुक्तिधाम के सफर में होता है. ये सभी अंतिम संस्कार यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन किसी का नहीं हुआ। मेरा मानना है कि माँ गंगा मोक्षदायनी हैं ऐसी स्थिति में कम से कम वो सभी लोग जिनकी कोरोना से मौत होने पर आज भी उनके परिजनों द्वारा श्मशान घाट से अस्थियों को विसर्जन हेतु नहीं ले जाया गया है उनके मोक्ष हेतु मै निमित्त बनना चाहता हूँ.आपको बता दें कि हाल ही में मुकेश मिश्रा नें कोरोना से मरने वाले शिक्षकों की आत्मा की शांति के लिए शान्ति पाठ और यज्ञ करवाया था।
फिलहाल कोरोना से हुई माता की मौत और उनके अंतिम संस्कार में शामिल ना हो पाने का दुख नें एक शिक्षाविद बेटे को झझकोर कर रख दिया और उन्हें सूचना मिली कि ऐसे बहुत से लोग हैं जिनका अंतिम संस्कार तो प्रशासन की उपस्थिति में किया गया लेकिन आज भी उनकी अस्थियां बगैर विसर्जन उनके अपनों का श्मशान घाट में इंतजार कर रही हैं। मुकेश मिश्रा ने उन सबकी अस्थियां गंगा नदी में विसर्जन के लिए प्रशासन को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है।
बहरहाल ये देखना होगा कि क्या प्रशासन उन्हें अस्थियों के विसर्जन के लिए अनुमति देता है कि नहीं।