रेत चोरों के हौसले बुलंद… एकलौते खनिज निरीक्षक के भरोसे खदान…आफत में लोगों की जान!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। बिलासपुर खनिज प्रशासन के अंतर्गत विभाग में एक उप संचालक, एक सहायक खनिज अधिकारी और एकलौते खनिज निरीक्षक राहुल गुलाटी के भरोसे चल रहा है। जिला कार्यालय में पदस्थ कुल 12 सिपाही 5 सुपरवाइजर, एक वाहन चालक,4 बाबू, 1 मानचित्रकार,1 प्रोसेस सर्वर द्वारा जिले में स्वीकृत खनिज रियायतों का नियमन, नवीन आवेदनों का निराकरण तथा खनिजों के नियमानुसार दोहन पर नियंत्रण किया जाता है।
बुद्धजीवी कहते हैं कि खनिज विभाग के एकलौते खनिज निरीक्षक कैसे अपने अमले के साथ उनके क्षेत्र में हो रहे रेत के वैध और अवैध खनन व परिवहन पर नियंत्रण रखनें में कामयाबी हासिल करते होंगे।
परिस्थितियों के हिसाब से विभाग रेत के अवैध उत्तखनन और परिवहन से परेशान कम और खुश ज्यादा नजर आता है,क्योंकि कारवाई से सरकार के खजाने का राजस्व बढ़ता है और अधिकारी को भी पहचान मिलती है।
लेकिन रेत चोर कारवाई को सही नहीं मानते, उन्हें बिना रसीद के फाइन पटाना अच्छा लगता है। इस दौरान अधिकारी से भेंट होती है और भेंट चढ़ता है। यहां रेत चोर अधिकारी की ख़ुशामद कर सेटिंग बनाता है। उसके बाद मौके पर यानि अवैध रूप से संचालित वैध रेत घाट जांच के लिए खनिज अधिकारी के मौके पर पहुँचने से पहले ही रेत चोर को अलर्ट कर दिया जाता है और उसके “अपने” दुम दबाकर भाग निकलते हैं जिसमें बड़े वाहनों को पकड़ा नहीं जाता बल्कि छोटे छोटे वाहनों पर कारवाई कर विभाग के अधिकारी खुद अपनी पीठ थपथपा लेता है, मतलब दोनों खुश।
वहीं मीडिया के लगातार खबर प्रसारित किए जाने पर मजबूरीवश जो रेत चोर पकड़े जाते हैं वो मौके पर नगद फाइन पटाने में विश्वास नहीं रखते उसे बार बार अर्थ दंड भरना पड़ता है। जो सरकारी खजाने में जाता है।
कभी कभी ऐसा भी होता है कि मीडिया के दबाव से रसूखदार रेत चोर पकड़े जाते हैं तब कारवाई आगे बढ़ाते ही विभाग को चौतरफा दबाव बनाने, लगातार फोन आते है ,ट्रांसफर तक की धमकीचमकी सो अलग… मीडिया में रेत चोरों और चोरों को बचाये जाने कि खबरें आने लगती है तब ऐसा कहा जा सकता है कि खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की स्थिति सांप और छूछूनदर की तरह हो जाती है ना निगलते बनता है ना उगलते।
आलम ये है कि नियम विरुद्ध अवैध उत्खनन और परिवहन की लगातार शिकायत सवाल से खनिज अधिकारी भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं ना ही कारवाई कर रहे है। चाहें तो विधि सम्मत कारवाई कर सरकार के खाली खजाने में बढ़ोतरी कर सकते हैं। लेकिन करते नहीं ये भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है।
विभागीय सूत्रों से जानकारी निकल कर आई कि स्वीकृत रेत घाटों का तय समय सीमा में सीमांकन का आदेश जारी कर दिया गया है। नियम तो नियम है चोरों को दंडित किए जाने और बचाने के लिए,अब सीमांकन का क्या फायदा,भले कारवाई से सरकारी खजाने में बढ़ोतरी हो, जो ऊंठ के मुँह में जीरा साबित होगा लेकिन अधिकारी की पांचों उंगलियों में शुद्ध घी की खुशबू महसूस की जा सकती है।
खासखबर छत्तीसगढ़ के रिपोर्टर नें कई रेत घाट में मौके पर जाकर देखा तो चौकने वाले नजारे थे,चिन्हांकित उत्तखनन स्थल सीमा से बाहर जाकर रेत चोर अंधाधुंध रेत की खुदाई कर रहे हैं, और सीमांकन वाले पत्थरों झंडे रस्सी को उखाड़ फेंका गया है। अब सवाल ये कि ज्यादातर स्थलों पर निरीक्षण के लिए जाने वाले जिम्मेदार खनिज निरीक्षक “राहुल गुलाटी” जब जब निरीक्षण जांच में मौके पर जाते हैं तो क्या उन्हें खनिज नियमों के विरुद्ध उत्तखनन दिखाई नहीं देता, या फिर वो देखना नहीं चाहते!
विभागीय सूत्रों से जानकारी निकल कर आई है कि हाल ही में रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन के मामले में पोकलेन, ट्रैक्टर और हाइवा पर जो एक्चुअल पेनाल्टी लगाई गई उस पर भी राजनीतिक दबाव पड़ने से पेनाल्टी आधी कर दी गयी।
बहरहाल इतना तो स्पष्ट है कि खनिज विभाग में अधिकारियों की नही, सफेदपोश नेताओं और ठेकेदारों की तूती बोलती है। ऐसे में खनिज नियमों का उल्लघंन, शिकायत मिलने पर भी नियमों का पालन करवाने वाले अधिकारी मौन रहकर अपनी कुर्सी बचाते नजर आते हैं जिससे रेत चोरों के हौसले बुलंद हैं।