बिलासपुर

गंभीर शिकायत…पटवारी नें सरकारी जमीन का विक्रय नकल किया जारी…उप पंजीयक नें बिना मौका मुआयना किए कर दी रजिस्ट्री…तहसीलदार नें जमीन का नामांतरण कर तीन टुकड़े में दिया बांट…

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। राजस्व विभाग कुछ दिनों से अपनी करतूतों को लेकर सुर्खियों में है कभी तहसीलदारों की कार्यप्रणाली पर एडवोकेट सवाल खड़े कर देते हैं तो कभी आर आई पर रिश्वत मांगने का सनसनीखेज आरोप लगाया जाता है, तो कभी विधायक से आम जनता की शिकायत पर विधायक खुद राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते नजर आते हैं तो कभी हाई कोर्ट बार एशोसिएशन के अध्यक्ष राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाते हुए शासन को पत्र लिखते हैं। हालांकि उपरोक्त मामले पर अब तलक कोई कार्यवाही नहीं होने से अब शासन और प्रशासन सवालों के दायरे में आ खड़ा है।

अभी हाल ही में बहतराई के पटवारी अनिल दोडवानी की सरेराह पिटाई और जान से मारने की धमकी पर दर्ज एफआईआर की स्याही सुखी भी नहीं थी कि राजस्व प्रमुख जिला कलेक्टर के पास तहसीलदार और पटवारी अनिल दोडवानी द्वारा करोड़ो का आर्थिक अपराध का आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत की गई है।

वहीं, अगर हम राजस्व विभाग की बात करे तो यहां राजस्व के प्रमुख अधिकारियों की सैकड़ों शिकायतें लिखित और मौखिक में मुख्यमंत्री,प्रभारी मंत्री, राजस्व मंत्री, कमिश्नर, कलेक्टर और एसीबी के पास की गयी है. बावजूद इसके इन पर कार्रवाई नहीं होना प्रश्न चिह्न खड़ा करता है।

शिकायत पत्र तहसीलदार और पटवारी अनिल डोडवानी के खिलाफ है. शिकायकर्ताओं ने पत्र के माध्यम से कलेक्टर और एसीबी अधिकारी को तहसीलदार और पटवारी अनिल डोडवानी की करतूतों को उजागर करते हुए पत्र लिखा है.

पत्र के अनुसार, बहतराई में सड़क की जमीन को सरकारी जमीन में बैठाकर सरकार को ढाई करोड़ का चूना लगा दिया गया है। जिस जमीन पर सड़क बनी है वो एक किसान की थी उस किसान को अविभाजित मध्यप्रदेश के समय सरकार से मुआवजा मिल चुका है।

शिकायतकर्ताओं की माने तो बहतराई ग्राम पंचायत की खसरा नंबर 310 जिसका रकबा 0.113 हेक्टेयर है। ये जमीन किसी समय एक किसान की थी अब इस जमीर पर PWD की सड़क बन चुकी है। इसका मुआवजा भी किसान को मिल चुका है। जमीन अधिग्रहण और मुआवजा वितरण की करवाई अविभाजित मध्यप्रदेश के समय हुई थी। लेकिन तब के पटवारी ने रिकार्ड दुरुस्त नही किया। जिसके कारण जमीन का रिकॉर्ड अभी भी किसान के नाम पर चला आ रहा था। इसी का फायदा वर्तमान पटवारी अनिल डोडवानी ने उठाया और जमीन को उसने किसानों के वरिसानों के नाम पर चढ़ा दिया। यही नहीं पटवारी ने विक्रय करने के लिए नकल भी जारी कर दिया। जमीन को किसानों के वरिसानों ने बेच भी दिया। जमीन बिक्री के बाद सीमांकन के बहाने सड़क की जमीन को सड़क किनारे की सरकारी जमीन में फिट कर दिया। अब वह जमीन करोड़ो की हो गई। जमीन की इस हेराफेरी में एक करोड़ रुपए से ज्यादा का लेनदेन हो गया है। दूसरी ओर इस हेराफेरी में सरकार को ढाई करोड़ रुपए का चूना लग चुका है।

अगर उक्त बातें सच साबित हुई तो सरकार के हाथ से सरकारी जमीन गई,राजस्व का नुकसान हुआ सो अलग,दूसरी तरफ पटवारी और जमीन दलाल एक झटके में करोड़पति हो गए।

बहरहाल शिकायतकर्ता की शिकायत जांच होने होने पर ही सच्चाई सामने आएगी किन्तु यह भी सच है कि ऐसे दर्जनों शिकायत पत्र राजस्व प्रमुख के कार्यालय में अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं और शिकायतकर्ताओं जांच शुरू होने का इंतजार है।

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