फर्नीचर बनाने का अवैध कारखाना…वन विभाग की “छापामार” कार्यवाही पर उठ रहे सवाल…!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर/करगीरोड कोटा। वन मंडल बिलासपुर अंतर्गत कोटा वनपरिक्षेत्र में नगर के बीचों बीच किराए के मकान में फर्नीचर का अवैध कारखाना का बेखौफ संचालन और फिर मुखबिर की सूचना मिलने के दूसरे दिन खाली मकान में वन विभाग की छापामार की आधि-अधुरी कार्यवाही नें एक बार फिर वन विभाग और उसके जिम्मेदार अधिकारी को कटघरे में ला खड़ा कर दिया है।
कोटा वनपरिक्षेत्र से लगभग 2 किलोमीटर दूर फ़िरंगी पारा में एक किराए के मकान में अवैध रूप से फर्नीचर का कारखाना का संचालित किया जा रहा था जो उदासीन वन विभाग और उसके तनख्वाह खोर अधिकारी और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता नजर आता है।
किराए के मकान से सागौन,सरई की बेशकीमती लकड़ी के बहुतायत मात्रा में चिरान और आधे अधूरे फर्नीचर का बड़ी मात्रा में बरामद होना और मौके पर से कोई औजार और किसी संदिग्ध व्यक्ति का गिरफ्तार नहीं होना भी वन अधिकारियों की संलिप्तता की ओर इशारा करता नजर आता है!
स्थानीय लोगों की मानें तो यह अवैध कारखाना पिछले कई महीनों से संचालित हो रहा था और यहाँ पर देर रात कुछ लोगों का चार पहिया वाहनों में अवैध रूप से जगंलों से बेशकीमती इमारती लकड़ियों के साथ आना जाना बना हुआ था। ऐसे में वनविभाग का सूचना तंत्र का फेलियर होना, उड़नदस्ता टीम को भनक नहीं लगना लोगों के गले नहीं उतर रहा है।
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि छापेमार कार्यवाही के दौरान वन विभाग की टीम के साथ कुछ लोग मामले को दबाने के लिए प्रयास कर रहे थे!
इतना ही नहीं जानकर लोगों का कहना है कि वनविभाग के भृष्ट अधिकारियों से वन तस्करों की मिलीभगत करके कोटा और आसपास के क्षेत्रों फर्नीचर कारखाना बेखौफ संचालित किए जा रहे हैं और फर्नीचर बना कर बेच रहे है।
जबकि कोटा में वन विभाग के तमाम जिम्मेदार अधिकारियों का तनख्वाह खोर स्टाफ कार्यालय में मौजूद है, तो फिर घनघोर जंगलों में चोरी छिपे होने वाला काम,वन तस्कर नगर के बीचों बीच फर्नीचर का अवैध कारखाना कैसे और किसकी सरपरस्ती से संचालित कर रहे!
सूत्रों की माने तो कुछ वन विभाग के कर्मचारी सालों से एक ही जगह पर पदस्थ है जबकी नियमानुसार उनका तीन साल में ट्रांसफर हो जाना चाहिए। चूंकि सालों से पदस्थ होने पर इनके संबंध उन तमाम लोगों से है जो लकड़ियों का अवैध और वैध कारोबार करते हैं, जिससे तस्करी को बढ़ावा मिला रहा है,सूचनाएं भी लीकहो रही हैं।
सूत्रों के अनुसार खबर निकल कर सामने आ रही है कि इस मामले से जुड़े सफेदपोश तस्कर लकड़ी के बिल के जुगाड़ में सेटिंग का खेल खेलने में लगे है। जाँच के दौरान कोई बिल पेश नही हुआ है ना ही कोई सामने आया है।
लोगों से मिली जानकारी के अनुसार तस्कर रात में मकान में ही थे फिर अचानक सुबह फर्नीचर बनाने वाले और तस्कर भाग निकले भागे…जब वन विभाग के अधिकारी को इस अवैध कारखाने की सूचना थी, तो तस्करों को किस ने दी छापे की सूचना..इतनी मात्रा में इमारती लकड़ी कैसे और किस रास्ते नगर में लाई गई…कौन कौन है इस रैकेट में शामिल..वन विभाग के बड़े अफसर करें इसकी निष्पक्ष और सूक्ष्मता से जाँच…होगा सनसनीखेज खुलासा!
सुलगते सवाल…
1 कौन कौन किराए से रहते थे उनका नाम और पता क्या है?
2 किसनें लिया था किराए से फर्नीचर का अवैध कारखाना संचालित करनें का काम?
3 कार्यवाही के दौरान सिविल ड्रेस में कौन दो लोग मौजूद थे और क्यों?
4 किसने खबर लीक की, जिससे वन तस्कर और फर्नीचर बनाने वाले कर्मचारी मय सामान भाग निकले?
5 क्या मकान मालिक नें किरायेदारों से एग्रीमेंट कराया था?
6 मकान मालिक फोन क्यों नहीं उठा रहा?
7 घटना स्थल पर मिले टूटा ताला का रहस्य क्या है?
8 वनविभाग नें अब तक क्या कार्यवाही की?
9 किन किन लोगों नें वन विभाग के अधिकारी से मामले को रफादफा करनें प्रलोभन दिया?
10 दूसरे ताला जड़े मकान की तलाशी वन विभाग की छापेमार टीम नें क्यों नहीं ली?वहाँ कौन रहता है?
क्रमशः ……..