बिलासपुर

कलेक्टर साहब… टाटीधार ग्राम पंचायत में बने प्रधानमंत्री आवास योजना का हाल बेहाल है… ना खिड़की है ना दरवाजा…यकीन ना हो तो एक दौरा कर ही आइए…

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। कोटा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत टाटीधार में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत बनाए गए प्रधानमंत्री आवास जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करनें काफी है।

ना खिड़की, ना दरवाजा ना पलस्तर आधे अधूरे बने प्रधानमंत्री आवास योजना की मोनिटरिंग के जिम्मेदार पंचायत सचिव, पंचायत इंस्पेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, और जिला पंचायत अधिकारियों की लापरवाही और कलेक्टर को झुठी प्रोग्रेस रिपोर्ट देने की पोल खोलने काफी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे घरों में रहने वाले परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान, बिजली कनेक्शन, स्वच्छ पानी,और स्वच्छता जैसे बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराया जाना चाहिए था किंतु आदिवासी बहुल क्षेत्र टाटीधार में ऐसे दर्जनों प्रधानमंत्री आवास अधिकारियों की लापरवाही से आधे अधूरे पड़े हैं जिसका लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पाया है।

आदिवासी बहुल क्षेत्र टाटीधार में निवासरत प्रधानमंत्री आवास के हितग्राहियों की मानें तो ग्राम पंचायत द्वारा आवास निर्माण हेतु ठेके पर दिया गया था किंतु ठेकेदार द्वारा आवास की सम्पूर्ण राशि बैंक से आहरित कर ली गई किंतु आवास पूरा नहीं कराया गया।

तस्वीरों में साफ नजर आता है कि प्रधानमंत्री आवास में ना ही दरवाजे लगाए गए हैं ना ही खिड़कियों को लगाया गया है। दीवार पर पलस्तर भी नहीं किया गया है। ऐसे में योजना की मॉनिटरिंग करनें वाले जिम्मेदार अधिकारियों अपने उच्च अधिकारियों को गलत और झुठी प्रोग्रेस रिपोर्ट भेज कर अपने कर्तव्यों के पालन में घोर लापरवाही बरती है।

मालूम हो कि जिले के मुखिया कलेक्टर बिलासपुर प्रत्येक मंगलवार कलेक्टोरेट के मंथन सभा कक्ष में टीएल की बैठक लेकर शासन की तमाम योजनाओं की प्रोग्रेस रिपोर्ट लेते हैं ऐसे में जनपद और जिला पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी कलेक्टर बिलासपुर को भी झुठी रिपोर्ट पेश कर उनकी आंखों में धूल झोंक रहे हैं।

कलेक्टर बिलासपुर को जिले के मुखिया होने के नाते, खबर की सत्यता परखने और प्रधानमंत्री आवास योजना में पलीता लगाने वाले लापरवाह अधिकारियों द्वारा पेश की गई रिपोर्ट की सच्चाई जानने जनपद पंचायत कोटा के ग्राम पंचायत टाटीधार जाना चाहिए ताकि उन्हें भी अपने जिले के सुदूर अंचल में रहने वाले आदिवासियों की पीड़ा और प्रधानमंत्री आवास योजना की जमीनी हकीकत दिखाई दे।

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