अनुभवहीन BEO की नियुक्ति पर उठ रहे सवाल…अनुभवी शिक्षकों के लिए बना जी का जंजाल!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम और राजधानी में बैठे शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता के कारण आज शिक्षा विभाग में लापरवाह, कामचोर, अयोग्य और विवादित अधिकारियों का दबदबा कायम है। जिस वजह से जिले और विकास खंड स्तर पर पदस्थ शिक्षा अधिकारी अपनी मनमानी करनें में लगे हुए हैं। इसका जीता जागता उदाहरण विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय कोटा में देखने को मिला है।
जानकारी के अनुसार कोटा विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय में पदस्थ प्रभारी विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी डॉ संजीव शुक्ला जो शिक्षाकर्मी के संविलियन बाद व्याख्याता बने और सीधे प्रभारी विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कोटा बना दिए गए। ऐसे पदों पर नियमानुसार कम से कम 5 वर्ष प्राचार्य पद का अनुभव आवश्यक माना गया है लेकिन प्रभारी विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी तो कभी प्राचार्य पद पर पदस्थ हुए भी नहीं,ऐसे में अनुभवी, योग्य शिक्षकों का प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करना गलत नहीं है।
जानकारी के अनुसार इसी विकास खण्ड कार्यालय में इन महाशय से कहीं ज्यादा अनुभवी शिक्षा अधिकारी पदस्थ हैं बावजूद इसके अनुभवहीन, अयोग्य व्यक्ति को प्रभारी विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी बनाया जाना, लचर प्रशासनिक व्यवस्था का एक बड़ा उदाहरण है जो कई सवाल खड़े करता नजर आता है!
बहरहाल लचर प्रशासनिक व्यवस्था के साथ विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय का काम तो चल रहा है लेकिन बंदर के हाथ उस्तरा वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए, देखना होगा कि कब प्रशासन योग्यता के आधार पर योग्य विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति कर योग्य शिक्षकों का सम्मान और कार्यालय में चल रही अंदरूनी उठा पटक पर विराम लगाता है।
जानिए किस विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय में “कोरेनटाइन सेंटर में व्यवस्था बनाने के नाम पर शिक्षकों से दो दो सौ रुपये की नगद वसूली की गई।”