मंत्री जी…फूट गई सुरक्षा दीवार…टूट गई नहर…बह गया पानी…ना फसल हुई ना मिला मुआवजा…आदिवासी किसानों की यही है कहानी…

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। अभी दो दिन पहले जल संसाधन विभाग के मंत्री जल संसाधन कार्यालय बिलासपुर के प्रार्थना सभा भवन में अपनी सरकार के दो साल पूरे होने पर पत्रकार वार्ता कर सरकार की उपलब्धियां गिना रहे थे।
सिर्फ और सिर्फ विकास की बातें बता रहे थे। सही है बताना भी चाहिए लेकिन एक बार भी उन्होंने अपने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से उनकी देख रेख में निर्मित एनीकट, नहर,और बैराज के ध्वस्त हो जाने की खबर और किसानों को मुआवजा राशि नहीं मिलने, और योजनाओं के आधे अधूरे होने से किसानों को लाभ नहीं मिलने पर फटकार तक नहीं लगाई। ऐसे हैं हमारे सिंचाई मंत्री जी।

हम अपने पाठकों को जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित एनीकट, चेकडैम, बैराज,और नहरों से जुड़ी ऐसी तमाम खबरें लगाएंगे जो किसानों की समस्या और जनहित से जुड़ी होंगी।

सबसे पहले हम सिंचाई मंत्री जी को बताना चाहेंगे कि कार्यपालन अभियंता,जल संसाधन संभाग पेंड्रा रोड द्वारा वर्ष 2016 में दो गाँव के आदिवासी किसानों को कृषि कार्य हेतू जल उपलब्ध कराने सतनाला व्यपर्तन योजना के तहत अभियान लक्ष्य भागीरथी के नहर निर्माण में 207.99 लाख रुपये खर्च कर दिया गया 2017 में दायीं और बायी नहर का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया।
लेकिन मंत्री जी…अधिकारी और ठेकेदार की सांठगांठ नें निर्माण कार्य की गुणवत्ता और अधिक कमीशन के फेर में डेम की सुरक्षा दीवार फूट गई और कई किसानों की उम्मीद पर पानी फेर गई। डेम की दीवार पहली बार नहीं दूसरी बार टूटी। किसानों की फसल दो बार बर्बाद हुई।

लेकिन वाह रे अधिकारी खुद को और ठेकेदार को बचाने उच्च अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया दुबारा टूटने पर भी जिम्मेदार अधिकारी को फर्क नहीं पड़ता। तभी तो टूटी दीवार अब तक मरम्मत नहीं करवाया गया।

बात यहीं खत्म नहीं होती बात किसानों की जमीन अधिग्रहण और मुआवजा को लेकर काफ़ी गंभीर है क्योंकि अधिकारियों ने किसानों की भूमि का अधिग्रहण तो किया लेकिन उसके बाद 4 साल से भूल गए आज भी किसान मुआवजा राशि मिलने का इंतजार कर रहे हैं। शायद बार बार दीवार किसानों के श्राप से टूट रही है!

फिलहाल तो कई सवाल खड़े हो रहें हैं जैसे प्रदेश में शासन स्तर पर जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव और प्रमुख अभियंता शासन के व्यवसायिक सलाहकार एवं विभाग के सभी कार्यप्रणाली के लिए उत्तरदायी होते हैं। जोन स्तर पर 5 मुख्य अभियंता मंडल स्तर पर 11 अधीक्षण अभियंता एवं संभागीय स्तर पर 61 कार्यपालन अभियंता प्रमुख अभियंता के सहायक होते हैं। इसके अलावा मुख्य अभियंता निगरानी टीम होती है जो विभाग के बजट और विभाग में संचालित योजनाओं में प्रगति की निगरानी करता है इसके अलावा 8 गुणवत्ता नियंत्रण इकाइयां हैं जो किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होने पर अधीक्षण अभियंता को रिपोर्ट करती हैं।

बहरहाल इतना सब कुछ होने के बाद भी एनीकट और नहर निर्माण अपने उद्देश्य की पूर्ति में सफल साबित नहीं हो सका। मतलब ना तो किसानों कृषि उत्पादन वृद्धि के लिए पानी उपलब्ध हुआ ना पेयजल व निस्तारी का प्रयोजन में सफलता प्राप्त हुई ना ही भूजलस्तर में वृद्धि हुई। ऐसे में विभाग के लापरवाह अधिकारी एवं ठेकेदार पर मामले की सूक्ष्मता से जांच कर दंडात्मक कार्यवाही किए जाने और शीघ्र मुआवजा दिलाने की मांग पीड़ित किसानों ने की है।क्रमशः