जाएं तो जाएं कहाँ… समझेगा… कौन यहाँ!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर।आम जनता की समस्या को लेकर शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधि कितने संजीदा हैं ये आम जनता से बेहतर कोई नहीं जानता।
आपने सुना होगा,अक्सर नेताओं के चुनावी भाषण में जनहित,आम जनता, जन-जन के हित की बात की जाती है चुनावी घोषणा पत्र में भी जनहित से जुड़े हुए मुद्दे होते है होना भी चाहिए, क्योंकि वह ही अपने हितैषी जनप्रतिनिधियों को चुनकर सरकार बनाते है लेकिन बनाई गई सरकार और चुने गए जनप्रतिनिधियों द्वारा आम जनता की कितनी समस्याओं का निराकरण और योजनाओं का लाभ इन पांच सालों, 60 महीनों और 1825 दिनों में उन्हें मिल पाता है!यदि मिल जाता तो फिर कलेक्टर कार्यालय में लगाई जाने वाले जन-चौपाल में उनकी बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज क्यों हो रही है?
फाइल फोटो
लोक लुभावन वादे और चुनावी जीत हार के बाद आम जनता आज भी अपनी छोटी छोटी समस्याओं को लेकर ग्रामीण अंचलों में, ग्राम पंचायत से लेकर जनपद पंचायत और उप तहसील से लेकर एसडीएम के कार्यालय का चक्कर लगाने मजबूर हैं।
फाइल फोटो
इतना ही नहीं जब इन दोनों जगहों पर पदस्थ तनख्वाह खोर जिम्मेदार द्वारा कोई सुनवाई नहीं होती तो व्यवस्था से निराश हताश जनता जिला के मुखिया कलेक्टर के जनचौपाल में आकर अपनी समस्या रखते हैं।
फाइल फोटो
जबकि नियमानुसार इनकी समस्या का हल पंचायत और जनपद,उप तहसील और एसडीएम स्तर पर ही हो जाना था। कलेक्टर भी इनके आवेदनों का निराकरण हेतु इन्हें ही भेजते हैं।
फाइल फोटो
ऐसे में व्यवस्था से नाराज़ जनता पूछती है कि इन्हें तनख्वाह किस काम की मिलती है जब हमें अपनी समस्या को लेकर कलेक्टर के पास ही जाना है?
फाइल फोटो
फ़िलहाल शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि आम जनता को अपनी समस्याओं का निपटारा करनें दफ्तरों का चक्कर लगाना ना पड़े, उनके मन में सवाल खड़े ना हो, उन्हें सोचना ना पड़े कि आखिरकार हमारी समस्याओं का हल करेगा कौन?
अंत में एक सवाल की जब से छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई है तब से लेकर अब तक आम जनता की समस्याओं का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है?