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मिठलबरा के गोठ एपिसोड-8 विजेता विधायक को वरदान! व्यवस्था वर्तमान से वशीभूत हाई कमान! वादा,वायदा,वापसी, वास्ते,विकल्प पर हो रहा विचार!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। विधानसभा चुनाव नजदीक है ऐसे में गरीबों के मददगार एकलौते चर्चित विधायक जो अपनी चिरपरिचित विनम्रता को चरम पर ले जाते हुए अक्सर देखे जाते हैं लोगों से कहते नजर आते हैं कि पार्टी नें उन्हें बहुत कुछ दिया है और अगर नेतृत्व उन्हें बैठकों में दरी बिछाने का काम भी सौंपेगा तो वे खुशी खुशी करेंगे।
उनके इस तरह के कथन को अब राजनीतिज्ञ अपने राजनीतिक चश्मे से देख कर अनुमान लगाते हैं कि उनके विरोधियों का विरोध उनकी विनम्रता पर हावी हो रहा है जो चिंता का विषय है सियासी हलकों में इसकी काफी चर्चा है कि पार्टी से इस बार उनके अपने विधानसभा क्षेत्र से टिकट मिलेगी या किसी ऐसे विधानसभा क्षेत्र से चुनाव टिकट दी जाएगी जहां से जीत “असम्भव” हो। हालांकि उनके डिक्शनरी में असंभव शब्द नहीं नजर आता। लेकिन ऐसा लगता है कि उनके राजनीतिक बल को कमजोर करनें की साजिश रची जा रही है।
गुपचुप तरीके से सही मिठलबरा विधायक के सहयोगी मतलब पर्दे के पीछे से उनके समर्थकों की भी यही राय है कि इस बार उनकी स्थिति कुआँ और खाई जैसी है मतलब ना उगलते बन रहा है ना निगलते! लुकछुप आना जाना,दुआ सलाम,नमस्कार और अभिवादन अभियान जारी है।
लेकिन राजनीति सूत्रों का कहना है कि विधायक का चुनाव क्षेत्र बदले जाने की संभावना कम है इसका सीधा सा कारण यह है कि इस क्षेत्र में विधायक द्वारा जीते गए विधानसभा सीट, पर “विपक्ष” को कोई मात दे सकता है तो वो ही हैं और भोली भाली जनता राजनीति के दांवपेंच,यह ही उनकी जीत(टिकट पाने का) का सर्वश्रेष्ठ दांव हैं।
ये अलग बात ह की चुनाव में जीत हार तो होती रहती है। लेकिन अगर दांव उल्टा पड़ गया तो धोबी के कुत्ते वाली कहावत चरितार्थ हो जाएगी ना घर के ना घाट के।
अब जितने मुँह उतनी बात, अफवाहों के बाज़ार में तो लोग यह कहते सुने गए कि विधायक दल बदलने की सोच रहे हैं बदलेंगे की नहीं ये तो वही जानें।
वो इसलिए की चुनाव से पूर्व और जीत के बाद उनके विरोधियों नें जो गुटबाजी की है वो जग जाहिर है लेकिन जीतने के बाद भी विरोधियों के तेवर कम नहीं हुए हैं ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि उनके और मुखिया की धमाल चौकड़ी के बीच उनके रिश्ते कुछ अच्छे नहीं है।
एक तरफ विरोधी उनके बढ़ते ग्राफ को नीचे गिराने के प्रयास में उनके दरबार में उपस्थित होकर उनके समर्थन में हामी भर रहे हैं लेकिन सच्चाई इससे परे नजर आती है और चुनाव आते आते और गंभीर हो जाएगी।
हालांकि अपने क्षेत्र से विधायक पद के सबसे योग्य उम्मीदवार के रूप में उनको उनके विरोधी और दबी जुबान से विपक्षी भी मानते हैं लेकिन जनता क्या चाहती है ये तो ताज पहनाने वाली जनता ही जाने?
अंत में बस इतना ही कि एक तरफ विधायक पुनः टिकट मिलने की उम्मीद पर जनता के बीच अपना कद बढ़ा रहे हैं जनता के सुख दुःख में शामिल हो रहे हैं जनता का समर्थन और जीत का भरोसा उनके रोम रोम से फूट रहा है ऐसे में विपक्ष और विरोधियों की स्थिति साँप और छूछुनदर की भांति हो गई है उन्हें ना निगलते बन रहा है ना उगलते!

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