जान जोखिम में डाल…पढ़ रहे नवनिहाल!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। स्कूल आ पढ़े बर, जिनगी ला गढ़े बर। ये स्लोगन दीवारों और तख्तियों पर बहुत अच्छे लगते होंगे जब स्कूल में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो जो एक स्कूल में अध्ययन करनें वाले बच्चों के लिए जरूरी हो,लेकिन बिलासपुर जिला अंतर्गत विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा द्वारा संचालित एक ऐसा बाउंड्रीवाल विहीन सरकारी स्कूल है जो ना केवल नदी किनारे जर्जर भवन में 1957 से संचालित हो रहा है बल्कि स्कूल भवन से लगा हुआ, खंडहर में तब्दील भवन की जर्जर दीवारें पढ़ने वाले नवनिहाल विद्यार्थियों की जान खतरे में डालते नजर आता है लेकिन अफसोस यह कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों नें विगत दो सालों में स्कूल का निरीक्षण करना भी मुनासिब नहीं समझा। हालांकि प्रधान पाठक द्वारा भवन के जर्जर होने की रिपोर्ट संकुल समन्वय के माध्यम से अपने उच्च अधिकारियों तक भेजी जा रही है।
तस्वीरों को देखकर भी होने वाले हादसे का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। प्रधान पाठक आनंद प्रकाश उपाध्याय से मिली जानकारी के अनुसार अज्ञात असामाजिक तत्वों द्वारा बड़ी छुट्टियों के दिनों में ईमारत की छत,दरवाजे और खिड़कियाँ आदि ना केवल निकाल कर ले गए बल्कि भवन की दीवारों के चारों कोने में लगे नीव के पत्थरों को भी निकाल लिया है जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
भले ही यहाँ पढ़ाने वाले शिक्षकों के बच्चे निजी स्कूलों में पूरी सुरक्षा के साथ पढ़ते हो लेकिन सरकारी स्कूल और उसमें पढ़ने वाले बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी तो शासन की है ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि शासन द्वारा स्कूल और स्कूली बच्चों को मुफ्त में दी जाने वाली तमाम योजनाएं के बाद भी सुरक्षा के अभाव में जर्जर स्कूल भवन और खंडहर रूपी भवन के अचानक धराशायी होने पर बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी होगी?
बहरहाल मुफ्त की सरकारी शिक्षा का अलख जगाने वाले जिम्मेदार जिला,विकास खण्ड, शिक्षा अधिकारियों को ऐसे मामले को गम्भीरता से संज्ञान में लेना होगा अन्यथा किसी हादसे के बाद जांच टीम का गठन और दोषी साबित करनें वाली लंबी जांच आज भी दर्जनों लंबित है।
क्रमशः ——