मिठलबरा के गोठ… एपिसोड – 6 मुख्यमंत्री जी, जब सारे रेत घाट बंद हैं तो “रेत”से भरे वाहन आ कहाँ से रहे!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। इन दिनों रेत माफियाओं की नजर खनिज विभाग में हो रहे रेत घाट नीलामी की तरफ है दूसरी तरफ अरपा सहित जिला में बहने वाली तमाम नदियों से धकापेल रेत का अवैध खनन और परिवहन जारी है।
जब जिला में रेत घाट की नीलामी हो रही है और सारे के सारे रेतघाट अवधि समाप्त होने की वजह से सरकारी कागजों में पूरी तरह बंद हो गए हैं तो आखिरकार पानी टपकते रेत से भरे चार पहिया वाहनों में रेत भरभर कर कहां से आ रहे हैं? किसके संरक्षण में ऐसा हो रहा है?
बिलासपुर में जिस तरह खनन माफिया के हौसले बुलंदी पर हैं। उनके आगे खनिज विभाग के अफसर और प्रशासनिक अधिकारी भी खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं या नौटंकी या फिर कोई गहरी सांठगांठ है!
जिला में 18 घाट थे जिनकी अवधि समाप्त हो जाने के बावजूद अधिकारियों की मिलीभगत से खनन और परिवहन बेखौफ जारी था यहां तक की मुख्यमंत्री की चेतावनी के बावजूद बिलासपुर जिले में अरपा सहित तमाम नदियों पर हो रही रेत की अवैध खुदाई और परिवहन पर रोक नहीं लगी है।
इसके उलट मुख्यमंत्री की खनिज विभाग को दी गई चेतावनी के बाद रेत माफिया और भी अधिक सीनाजोरी से अवैध उत्खनन कर रहा है। यह साफ दिख रहा है कि बिलासपुर शहर के चारों ओर बहने वाली नदियों में जल स्तर कम या नहीं होने की वजह से हो रहे इस अवैध उत्खनन के जरिए रेत का गोरख धंधा करने वालों को खनिज विभाग के अफसर ना रोक सकते हैं और ना रोक सकेंगे।
3 घन मीटर रेत की ट्रेक्टर ट्राली से हो रहे परिवहन में रायल्टी पर्ची का उपयोग ही नहीं होता,ऐसा लगता है रेत घाट संचालकों और अधिकारियों के बीच मौखिक समझौता के तहत गरीब ट्रेक्टर मालिकों को बलि का बकरा बनाने खुली छूट दी गई है। ताकि कारवाई कर प्रकरण बना और दिखा सकें।
बीच बीच में दिखावे के लिए अधिकारी 2–4 ट्रैक्टर ट्राली, आदि जप्त कर अपने आप को कर्तव्य परायण बताने का झूठा नाटक नौटंकी करते हैं। जबकि इनके पास रायल्टी पर्ची ही नहीं होती। इस बात की जांच ही नहीं होती कि रेत खदानों से बिना रायल्टी पर्ची इन्हें रेत भरकर दे कौन रहा?
आज भी बंद रेत घाटों का औचक निरीक्षण करें तो वहां का नजारा जस का तस बना हुआ है। बिलासपुर के चारों तरफ रेत की अवैध डंपिंग खनिज विभाग और जिला प्रशासन को छोड़कर बाकी सभी को दिखाई दे रही है। रेत माफिया के सामने खनिज प्रशासन की सांठगांठ जगजाहिर है और यह साबित हो चुका है कि बिलासपुर में अवैध खनिज उत्खनन कभी भी नहीं रुक सकता।
इन तस्वीरों को देखकर तो ऐसा लगता है मानो जिले के खनिज कार्यालय में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी खनिज माफियाओं को रेत के अवैध उत्तखन और परिवहन की खुली छूट दे रखी हो। जिससे कम से कम उनके खजाने में एकमुश्त कुछ तो जमा हो।
आज के अंधाधुंध अवैध उत्खनन के इस धंधे से जुड़े माफिया और उन को संरक्षण दे रहे नेता तथा अधिकारियों की तिजौरिया लाल हरे नोटों से ओव्हरफ्लो हो रही है और सरकार के खजाने को नुकसान!
अंत में इतना ही कि तीन घाटों की नीलामी में 2122 बोलीदारों नें इतने ही फार्म जमा किए, 200 से कुछ ज्यादा ही बोलीदार पहुँचे मतलब 90 फीसदी नहीं आए?
ये पब्लिक है सब जानती है….!