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मीठलबरा के गोठ…एपिसोड- 2 उप चुनाव,हार का अंदेशा किसे था…जीत का जश्न मनाने की थी तैयारी!

मीठलबरा के गोठ…एपिसोड 2

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। चुनाव चाहे पार्षद का हो या विधायक का,करिश्में के भरोसे तो नहीं जीता जाता। चुनाव में जीत और हार तो होती रहती है लेकिन अगर सत्ताधारी दल के और जनता के चहेते विधायक क्षेत्र में पार्षद का उप चुनाव हो और उम्मीदवार सत्ताधारी दल का हो और उसकी हार हो जाय तो ये विधायक सहित सत्ताधारी दल के तमाम पदाधिकारियों के लिए चिंतन और मंथन का विषय है। ऐसा जनता का जनादेश कहता है।

सत्ताधारी दल के विधायक सहित तमाम पदाधिकारी मिलकर अपने प्रत्याशी को जीत दिलाने का दंभ भर रहे थे। चुनाव प्रचार से ऐसा दिखता था मानों चारों ओर जीत का प्रकाश फैला हो। चौतरफा चुनौतियों से जूझ रही हार को किसी नें देखने की कोशिश भी नहीं की।

लोग कहते हैं कि विधायक का जीता हुआ करिश्माई चेहरा भी पार्षद चुनाव की जीत में कोई काम नहीं आया। सत्ताधारी दल के नेताओं द्वारा किए गए दावों के बावजूद मिली करारी हार से एक बार फिर विपक्ष के चेहरे पर जीत पूर्णिमा के चांद की तरह चमकती नजर आई। उम्मीद जागी की आने वाले विधानसभा चुनाव में विधायक का चुनाव भी जीत लेंगे। तभी तो नेता जी का बड़ा बयान आया कि यह जीत 2023 में सत्ता की विदाई का संकेत है।

ये हार, जीते हुए विधायक की हार मानी जा रही है ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में मुकाबला ज्योतिष भविष्यवाणी पर आकर ठहर जाती है। विधायक को भी चापलूसों से दूरी बनानी होगी, नहीं तो जीत का सेहरा हार में बदल सकता है।

हार का अंदेशा किसे था! जीत के जश्न की तैयारियों में जुटे थे लेकिन इस हार नें सब बंटाधार कर दिया। विधायक के उम्मीदों पर पानी फिर गया।

अब सवाल यह कि जनता के चहेते विधायक भी अपने उम्मीदवार को जीत नहीं दिला सके तो आने वाले विधानसभा चुनाव में खुद की उम्मीदवारी पर जीत का दावा कहाँ से और किस भरोसे करेंगे? क्योंकि गुटबाजी तो अब भी हावी है।

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