बिलासपुर

सवाल तो उठता है साहब! जब सरकार की महत्वकांक्षी योजना का लाभ लेने हितग्राही को दर दर की ठोकर खानी पड़े।

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर/रतनपुर. नरवा, गरुवा, घुरवा और बारी से प्रदेश के किसानों का विकास करने की कसीदे गढ़ते छत्तीसगढ़ की सरकार ने चार साल पूरा कर लिया है. वहीं इस योजना की जमीनी हकीकत कैसी है अगर आप देखना चाहते हैं तो न्यायधानी बिलासपुर जिला मुख्यालय से संस्कारधानी महामाया की नगरी रतनपुर में चले आइए यहाँ के पीड़ित किसान से मिलिए उसकी पीड़ा सुनिए सुनकर आप भी योजना की जमीनी हकीकत और कागजी कार्यवाही समझ जायेंगे।

यहाँ एक किसान गोवंश का गोबर बेचने के बाद भुगतान के रुप में मिलने वाली राशि बीस हजार रुपए का भुगतान पाने दर दर की ठोकरें खाते हुए अपनी एड़ियाँ घिस रहा है.

छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों की आय बढ़ाकर स्वावलम्बी बनाने गोबर की खरीदी शुरूआत की. इस योजना के तहत नगर पालिका परिषद् रतनपुर में भी किसानों के धान की खरीदी की जा रही है. मेला परिसर आठाबीसा तालाब के पास स्थित मणिकंचन केंद्र में किसानों के गोबर की खरीदी की जा रही है. वार्ड नंबर छह निवासी किसान और पूर्व पार्षद तपेश्वर तिवारी ने भी दूसरे किसानों के साथ गोबर की ब्रिकी नगर पालिका परिषद द्वारा संचालित मणिकंचन केंद्र में की है. लेकिन उनके द्वारा बेचे गए गोबर के बीस हजार रुपए से भी अधिक बकाया का भुगतान नहीं किया जा रहा है.

इस मामले में नगर पालिका परिषद के अधिकारी कर्मचारी गोलमोल बातें बना कर रुपए देने में टालमटोल कर रहे हैं. इससे परेशान किसान तपेश्वर तिवारी ने बीते दिनों खंड स्तरीय जन समस्या निवारण शिविर में भी शिकायत की है. वहां से भी उनके रुपए की भुगतान के लिए सकारात्मक कार्रवाई होते नजर नहीं आ रहा है.

साल भर से नहीं किया है भुगतान

किसान तपेश्वर तिवारी ने बताया नगर पालिका परिषद रतनपुर द्वारा मेला परिसर आठाबीसा तालाब के पास स्थित मणिकंचन केंद्र में जाकर साल 2020-21 में गोबर बेचा है. गोबर के छब्बीस हजार रुपए का भुगतान बकाया था. इसमें से नगर पालिका से दो किस्त में तीन तीन हजार रुपए खाते में भेजा गया है. इसके बाद बीते एक साल से बीस हजार से अधिक बकाया का भुगतान नहीं किया जा रहा है.

गोलमोल जवाब दे रहे अधिकारी

बकाया भुगतान को लेकर नगर पालिका परिषद के अधिकारी कर्मचारी गोलमोल जवाब देकर टालमटोल कर रहे हैं. अधिकारी कहते हैं राशि बैंक में भेज दिए थे नंबर में गड़बड़ी की वजह से भुगतान अटका है. परेशान होकर इसकी शिकायत खंड स्तरीय जन समस्या निवारण शिविर में की है.

फिलहाल सरकार की महत्वकांक्षी योजना को धरातल पर लाने और उसका लाभ दिलाने की जिम्मेवारी प्रशासन और उससे जुड़े अधिकारी और उनकी टीम की होती है प्रशानिक अधिकारी का योजना को लेकर प्रभावकारी नियंत्रण का अभाव, ढुलमुल रवैया और पीड़ित किसान की शिकायत से सरकार की महत्वकांक्षी योजना और व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं!

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