1000 बच्चों की मध्यान भोजन व्यवस्था, पेयजल के अभाव में हो रही प्रभावित…स्कूली बच्चों के मन में उठता सवाल… क्यों हैं सरकारी स्कूल की व्यवस्था बदहाल!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के नाम पर चलाई जा रही योजनाओं में एक योजना है मध्यान भोजन योजना जो एक महत्वपूर्ण योजना है किंतु जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के चलते योजना को संचालित करनें में अनेक कठनाइयों का सामना करना पड़ता है।
किसी नें सच ही कहा है कि जल ही जीवन है जल के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं कि जा सकती है ऐसे में यदि किसी सरकारी स्कूल का हैंडपंप 6 महीने से बंद हो और विकल्प के रूप में लगाया गया बोर मशीन दो दिन से खराब हो तो ऐसे में स्कूल में अध्ययनरत एक हजार बच्चों का मध्यान भोजन बिना पानी के कैसे पकाया जाएगा और महत्वपूर्ण प्रश्न कि बच्चे और स्कूल स्टॉफ जुगाड़ के पानी से पकाए गए मध्यान भोजन को खाकर पेयजल के लिये कहाँ जाएंगे।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं खमतराई स्थित प्राथमिक और मिडिल स्कूल जहां लगभग 1000 बच्चे अध्ययनरत हैं इन बच्चों के लिए शासन की महत्वपूर्ण योजना मध्यान भोजन भी लागू है किंतु मध्यान भोजन पकाने के और पीने के लिए पेयजल की व्यवस्था पिछले दो दिनों से नहीं है ऐसे में मध्यान भोजन पकाने हेतु रसोइयों द्वारा पानी जुगाड़ से लाया जा रहा है मतलब जुगाड़ के पानी से कब तक मध्यान भोजन पकाया जाएगा?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह स्कूल बिलासपुर सांसद,बेलतरा विधानसभा के विधायक के क्षेत्र में आता है और विकास खंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा का है मजे की बात यह है कि अब यह स्कूल नगर निगम क्षेत्र में भी है यहां से पार्षद भी चुने गए हैं। इस क्षेत्र के चुने गए जनप्रतिनिधियों को इस स्कूल में अध्ययनरत बच्चों के माता पिता का भी वोट मिला होगा ऐसे में समस्या की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी सहित जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को इस समस्या का हल अतिशीघ्र निकालना चाहिए।
फिलहाल देखना होगा कि समस्या के शीघ्र निदान के लिए शिक्षा विभाग,नगर निगम, पीएचई विभाग या जनप्रतिनिधियों द्वारा कब तक पहल की जाती है! या शासन की महत्वपूर्ण योजना जुगाड़ के दम पर यूं ही चलती रहेगी!